Saturday, March 19, 2016

हिन्दुत्व की दशा व दिशा


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अध्यक्ष श्री मोहन भागवत ने भारत को हिन्दू राष्ट्र क्या कह दिया कि सभी विपक्षी दल, सेक्युलर व वामपंथी हो-हल्ला करने लगे । चिल्लाने लगे सब कि भारत एक सेक्युलर राष्ट्र है । अतः यह हिन्दू राष्ट्र नहीं हो सकता। हिन्दू राष्ट्र यदि भारत हो जाएगा तो फिर मुसलमानों, ईसाईयों व वामपंथियों का क्या होगा? श्री मोहन भागवत ने यह कोई पहली बार नहीं कहा है कि भारत एक हिन्दू राष्ट्र है अपितु वे स्वयं तथा उनका राष्ट्रवादी संगठन इस तथ्य की घोषणा हजारों बार कर चुके हैं । इस समय विशेष चीख-पुकार मचाने का निहितार्थ यह है कि केन्द्र में सत्तारूढ़ सरकार भारतीय जनता पार्टी की है जिस पर हिन्दूवादी होने का आरोष बार-बार लगता रहता है। हालांकि अब तक इस पार्टी ने ऐसा कुछ भी नहीं किया है कि जिससे यह लगे कि यह हिन्दूवादी पार्टी है । हिन्दुओं, उनकी संस्कृति, उनकी सभ्यता, उनके दर्शनशास्त्र, उनके जीवनमूल्यों, उनके विज्ञान, उनकी चिकित्सा, उनकी शिक्षा-प्रणाली, उनकी जन्मभूमि, उनके नाम, उनके पूर्वजों, उनके पूजा-स्थलों, उनके प्रतीकों, उनके आदरणीय महापुरुषों आदि आदि सभी का आज भी पहले की तरह अपमान हो रहा है । मोदी सरकार द्वारा पाकिस्तान से सचिव स्तर की बातचीत बन्द किए जाने के बावजूद भी कश्मीर के अलगाववादी नेताओं ने खुलेआम पाकिस्तान, उच्चायोग के अधिकारियों से बातचीत की। दिल्ली में मोदी की गद्दी के नीचे पाकिस्तान व कश्मीर के अलगाववादी नेता सरेआम भारत के विरूद्ध जहर उगल रहे हैं और पूरी भाजपा चुप है। क्या है यह? यह हिन्दू राष्ट्रवाद है क्या? हिन्दू राष्ट्रवाद तो वह है जिसके अन्तर्गत हिन्दू राजा उस किसी भी आततायी को कठोर दण्ड देकर उसे युनान से परे खदेड़ देते थे जो भारत की या हिन्दू राष्ट्र की एकता व अखंडता के विरूद्ध कार्य करने की कोशिशें करते थे । यह सब लाखों वर्षों तक होता रहा है । आज जो भी भाजपानीत सरकार के दौरान हो रहा है वह हिन्दू राष्ट्रवाद किसी भी तरह से नहीं है । हां, आगे हिन्दू हितों का ख्याल रखते हुए कुछ किया जायेगा, इसकी काफी सम्भावना है । उत्तर प्रदेश मं एक संग्रहालय के परिसर में लगी गुलामी की प्रतीक प्रतिमाओं को चोट पहुंचाने पर धारा 307 लगा दी जाती है तो हिन्दूत्व कहां रहा? अरे! गुलामी के प्रतीकों पर चोंट पहुंचाने के परिणामस्वरूप जिस राष्ट्र में धारा 307 लगा दी जाती हो, ऐसे राष्ट्र को राष्ट्र कहना भी शीघ्रता ही होगी और कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी मूर्ख इस कृत्य की तुलना तालिबान से कर रहे हैं । सच में ही ऐसे लोग बुद्धिजीवी मूर्ख है। सेक्युलर व वामपंथी ऐसा करके भगवान् बुद्ध की करूणा व प्रेम को विदेशी लूटेरे, नरसंहारक एवं भारत को बर्बाद करने वाले अंग्रेजों को एक ही तराजू में तोलने की असम्भव कोशिशें कर रहे हैं और हमारी तथाकथित राष्ट्रवादी सरकार इन्हीं का समर्थन कर रही है। ऐसे बुद्धिजीवियों व नेताओं का क्या हो सकता है जोकि आज भी मोहम्मद इकबाल के ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा को गा-गाकर या इसके उद्धरण देकर हमारे राष्ट्रवासियों को राष्ट्रवाद व स्वदेशी की शिक्षाएं दे रहे हैं । हमारे बुद्धिजीवी व राजनेता उस देशद्रोही व कमीने व्यक्ति को राष्ट्रवाद व स्वदेशी का प्रतीक घोषित करते हैं जो उस संगठन का अध्यक्ष बना जिसने भारत के टुकड़े करवा दिए थे । हमारे बुद्धिजीवी, राजनेता व सेक्युलर अंधे-गूंगे- बहरे मूढ़ लोग उस पापात्मा को देशभक्ति का प्रतीक मानते हैं जिसने 1930 ई॰ में कहा था कि ‘हो जाए अगर शाहे खुराशां का इशारा, सजदा ना करूं हिन्दोस्तां की नापाक जमीं पर यानि इकबाल महोदय यह जहर उगल रहे हैं कि यदि विदेशी मुसलमान बादशाह इशारा भी कर दें तो मैं भारत की नापाक भूमि पर नमाज भी ना पढूं । यह है ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा गाने वाले मोहम्मद इकबाल की वास्तविकता और पाठक ध्यान दें कि पाकिस्तान का पाकिस्तान नाम भी उपरोक्त ‘नापाक शब्द से ‘ना हटाने से बना है । यानि कि भारतभूमि नापाक है तथा पाकिस्तान की भूमि ‘पाक यानि शुद्ध व पवित्र है । इस तरह से हो रही है हिन्दू राष्ट्रवाद, स्वदेशी, राष्ट्रभक्ति व भारतीयता की रक्षा । सच बात यही है कि अभी तो सिर्फ थोड़ा विश्वास जगा है श्री मोदी के आगमन के कारण । लेकिन वास्तव में उनके तीन महीने के शासनकाल से ऐसी कोई झलक मिली नहीं है ।
      ये साम्यवादी, सेक्युलर, कांग्रेसी व हिन्दुत्व के विरोधी इस तथ्य को मानने को राजी ही नहीं हैं कि भारत एक हिन्दू राष्ट्र था, है और होना भी चाहिए । इनकी दृष्टि में हिन्दुत्व ईसाईयतव, इस्लाम की तरह एक पंथ या सम्प्रदाय भर है । ये यह मान ही नहीं सकते कि हिन्दुत्व पंथ, सम्प्रदाय, मत, वाद, सिद्धान्त आदि न होकर एकमात्र इस धरा का धर्म है । इसे छोड़कर सब मत, सम्प्रदाय या वाद भर हैं । जिस भूमि पर यह धर्म का स्वप्न, यह मानव को मानव निर्माण करने का स्वप्न, यह कृण्वन्तो विश्मार्यम् का स्वप्न साकार हुआ है वह हिन्दूभूमि है । वह धर्मभूमि है । वह हिन्दू धर्म एक ही धर्म है जोकि सभी को स्वीकार करता है । वह सभी को अपने भीतर पचा लेता है । वह अकेला है तथा धर्म है जोकि वह सबको अपने जीने का अधिकार देता है। यह अधिकार ईसाईयत व इस्लाम नहीं दे सकते तथा न ही इन्होंने पूर्व में यह अधिकार किसी को दिया है कि इनका विरोधी यानि कि इनसे विपरीत विश्वास का व्यक्ति भी इनके साथ रह सके । इनकी इसी मूढ़ता, धर्मांधता व पाखंड के कारण पिछले दो हजार वर्षों में करोड़ों व्यक्तियों की हत्याएं हो चुकी हैं, सैंकड़ों देशों के पूजास्थलों व किलों को तोड़ा जा चुका है, उनकी सभ्यता व संस्कृति के लाखों प्रतीकों को बर्बाद किया जा चुका है तथा प्राकृतिक साधनों का दोहन भी पिछली तेरह शदी से अबाध गति से चल रहा है । इस क्रम में सर्वाधिक नुकसान हिन्दुओं का हुआ है क्योंकि पिछली तेरह शदी के दौरान ईसाईयत व इस्लाम के तेरह शदी के नरसंहारों के फलस्वरूप लगभग 35 करोड़ हिन्दुओं की हत्याएं हो चुकी हैं तो पूरी दुनिया में स्थित लाखों पूजास्थल, किलों, उद्यानों, विश्वविद्यालयों, मठों आश्रमों व योग केन्द्रों को धूल-धूसरित किया गया है । ये इतने बड़े नरसंहार व पूजास्थलों का विध्वंश शान्ति, प्रेम, भाईचारे व करुणा का उपदेश देने वाले सम्प्रदायों ईसाईयत व इस्लाम ने ही किया है । हिन्दुत्व ने तो कभी भी किसी का नरसंहार नहीं किया, किसी राष्ट्र पर जबरदस्ती शासन नहीं किया तथा न ही किन्हीं के पूजास्थलों को तोड़ा । हां, जब विरोधियों ने अपने रहन-सहन के आततायी व नरसंहारी तथा सेक्युलरी तरीकों को नहीं बदला हो फिर हिन्दुत्व चुप भी नहीं बैठा रहा । ऐसे में विरोधियों को उनकी कुचालों व कुकृत्यों का सही जवाब देने के लिए हिन्दुत्व ने सख्ती से भी काम लिया है तथा उनको दण्ड भी दिया है । लेकिन परिस्थिति को न समझकर हिन्दुत्व की तुलना ईसाईयत व इस्लाम से कर देना निजी मूढ़ता व सेक्युलरी ही कही जाऐगी । एक तरफ तो अत्याचारी व लूटेरे को प्रत्युत्तर देना तथा दूसरी तरफ बेवजह किसी राष्ट्र को गुलाम बनाना, वहां पर नरसंहार करवाना, वहां के प्राकृतिक संसाधनों को लूटना, वहां की शिक्षापद्धति व संस्कारों को बर्बाद करवा देना आदि में आकाश-पाताल का अन्तर है लेकिन हमारे देश को एक महारोग लगा हुआ है जिसके कारण इन दोनों स्थितियों को एक समान मान लिया जाता है ।
हिन्दुत्व एक भौगोलिक व सांस्कृतिक अवधारणा है लेकिन इससे पूर्व यह एक धर्म है । एक जीवशैली है, एक सार्वभौम जीवनशैली है, एक सर्वस्वीकारी जीवनपद्धति है । अपने विरोधियों को भी अपने साथ रखने की विधि है यह । भारत भूमि के कण-कण ने अध्यात्म को, साधना को, योग को, अद्वैतानुभूति को, प्रभुमिलन को लाखों वर्ष से छककर पीया है । इस भूमि पर साधना करने से शीघ्र प्रभु की प्राप्ति होती है । यहां साधना करना व अद्वैतानुभूति अति सहज व सरल है । यह देवभूमि, अध्यात्मभूमि, योगभूमि, पवित्रभूमि इसीलिए कही गई है । इस भूमि के ऊर्जा-आकाश में किसी भी मान्यता, विश्वास, श्रद्धा व पूजापद्धति का व्यक्ति रहता हो, वह हिन्दू ही है । पश्चिम में सिन्धू नदी के आसपास के क्षेत्र से लेकर पूर्व में स्थित सिन्धू नदी तक तथा उत्तर में स्थित हिमालय के आसपास के क्षेत्र से लेकर दक्षिण में स्थित सभी क्षेत्र भारतभूमि या हिन्दू भूमि है । इसके बारे में किसी को कोई सन्देह नहीं होना चाहिए । फिर भी यदि सन्देह होते हैं तो वे जान बूझकर ऐसा कर रहे हैं । उनकी राजनीति ऐसा सोचने व करने से ही चलती है । उन द्वारा ऐसा करना उनकी मजबूरी है लेकिन उनकी यह मजबूरी भारत राष्ट्र हेतु काफी खतरनाक सिद्ध हो रही है । हमारी प्रथम प्रतिबद्धता भारतभूमि या हिन्दूभूमि के प्रति है, बाकी बातें बाद की हैं। भारत की सब पवित्र नदियों सिन्धू, सतलुज, गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, गोदवरी, कृष्णा, कावेरी आदि नदियों के आसपास में स्थित व योगानुभूति से आवेशित क्षेत्र भारतभूमि या हिन्दू भूमि है। पता नहीं क्यों हमारे सेक्युलर, वामपंथी व कांग्रेसी भाई इस तथ्य को नहीं मान रहे हैं । यह तथ्य इनको हजम नहीं हो रहा है कि इस धरा पर हिन्दुत्व की तरह के धर्म का अस्तित्व भी हो सकता है। इनकी खंडित व पूर्वाग्रहग्रस्त सोच में यह तथ्य समा नहीं पा रहा है। इस तरह की सोच हिन्दुत्व को कभी भी नहीं समझ पायेगी। इस तरह की सोच सिर्फ व सिर्फ हिन्दुत्व को हानि ही पहुंचाएगी। योग की साधना से ही ऐसी निर्मल बुद्धि की प्राप्ति होती है जिससे यह समझ विकसित होती है कि जिससे धर्म व सम्प्रदाय में भेद समझ में आ सके । इस भेद को यहुदी, ईसाई, इस्लामी, वामपंथी, सेक्युलरी व  कांग्रेसी कभी भी नहीं समझ पाएंगे क्योंकि वे योग-साधना की अवधारणा को न मानते हैं तथा न जानना चाहते हैं। भारत, भारतीयता, हिन्दू, हिन्दुत्व आदि को जीवित रखने व इसका प्रचार-प्रसार करने हेतु अनेकों विरोधियों के होने के बावजूद भी अनेक हिन्दुवादी संगठन कार्यरत हैं यह सन्तोष का विषय है । लेकिन इस कार्य को सैंकड़ों गुना शक्ति, गति व समझ से किया जाऐगा तो ही हिन्दुत्व बच पाऐगा ।
-आचार्य शीलक राम -आचार्य शीलक राम (9813013065, 8901013065)

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