Thursday, March 17, 2016

अच्छाई ने लिया बुराई का सहारा

भारतीय राजनीति के इस पहलू पर अब तक किसी का ध्यान गया है और वह है अरविंद केजरीवाल का कांग्रेस का सहारा लेकर दिल्ली की सत्ता के शीर्ष पर विराजमान होना यानि कि दिल्ली राज्य मेंआम आदमी पार्टी की सरकार का गठन अरविंद केजरीवाल ने शुरू से ही जिस भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम में सक्रिय रूप से भाग लिया था उसको उन्होंने राजनीति में प्रवेश करते ही छिन्न-भिन्न भ्रष्ट कर डाला भारतीय राजनीति की यह सर्वाधिक हानिकारक विंडबना है कि एक राजनीतिक दल जिस दल की दिन-रात आलोचना करके सत्ता के समीप पहुंचने में असफल रहा लेकिन उसी दल के विधायकों के पैरों पर चलकर दिल्ली राज्य की कुर्सी पर आसीन हो गया संकेतआम आदमी पार्टी की ओर है। राजनीतिक दल बनते रहते है तथा टूटते रहते है लेकिन इतनी शीघ्रता से भ्रष्टाचार का सहारा किसी भी राजनीतिक दल ने नहीं लिया जितनी शीघ्रता सेआम आदमी पार्टी की ओर है। राजनीतिक दल बनते रहते है तथा टूटते रहते है लेकिन इतनी शीघ्रता से भ्रष्टाचार का सहारा किसी भी राजनीतिक दल ने नहीं लिया जितनी शीघ्रता सेआम आदमी पार्टी ने लिया है इस प्रश्न का सीधा सा जवाब कुछ भी नहीं है कि धूर विरोधी (विचार में सोच में, शैली में एवं स्थापना में) दल का सहारा या मदद लेकर क्यों अरविंद केजरीवाल दिल्ली राज्य के मुख्यमंत्री बन गए? घुमा-फिराकर कोई भी जवाब दिया जा सकता है जैसा कि राजनेता आमतौर से करते देखे जाते हैं वे किसी भी प्रश्न का सीधा जवाब नहीं देंगे राजनीति में प्रवेश करके आप भ्रष्टाचार को समाप्त करना चाहते हैं - यह अच्छी बात है लेकिन यह कहां की भलमन साहत है कि आप अच्छे कार्य भी बुराई की मदद लेकर करें? अन्य राजनेताओं तथाआम आदमी पार्टी के राजनेताओं में फिर अंतर कहां रहा? राजनीति में प्रवेश करके उच्च पदों पर पहुंचने की जितनी जल्दीआम आदमी पार्टी के नेताओं ने दिखलाई है उतनी जल्दी आज तक भारत के किसी भी राजनीतिक दल ने नहीं दिखलाई है अरविंद केजरीवाल उनके तमाम साथियों के भ्रष्टाचार विरोध होने के सारे नारे एकदम से हवा हो गए चुनाव लड़ते समय ही जिस तरह सेआम आदमी पार्टी के नेताओं के भ्रष्टाचार में लिप्त होने के सबूत पूरे राष्ट्र के समक्षस्टिंग आप्रेशन के माध्यम से आए थे तभी इनकी वास्तविकता के दर्शन हो गए थे रही सही कसर इन्होंने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाकर पूरी कर दी अब बरगलाते रहें वे लोगों को कितना ही जनता को शायद अब इनकी रही-सही असलियत का भी पता चल जाऐगा जनता एक-दो बार बेवकूफ बन सकती है, बार-बार नहीं। इनकी बेशर्मी देखिए कि ये बार-बार दोहरा रहे हैं कि हमने कांगे्रस से समर्थन नहीं लिया अपितु कांग्रेस ने खुद ही समर्थन दिया है। अरे! समर्थन आपने मांगा हो या कांग्रेस ने दिया हो- लेकिन आपकी सराकर तो उनके (भ्रष्टाचारियों) सहयोग पर ही खड़ी है। आपको भी ऐसे में भ्रष्टाचारी क्यों कहा जाए? आपको भी फिर कांग्रेस कीबी टीम क्यों कहा जाए? आप किसी अन्य ढंग से कांग्रेसी हैं तो कांग्रेस किसी अन्य ढंग सेआम आदमी पार्टी जैसी ही है शब्दों के जाल में लोगों में लोगों को फंसाकर उनको मूर्ख क्यों बनाते हो? जब आपको यह पता है कि आपका पूर्ण बहुमत नहीं है तथा आपकी सरकार अल्पमत में ही रहेगी- वह कभी भी गिर सकती है तो इस तहर की लोक लुभावनी एवं पूरी हो सकने वाली घोषणाएं क्यों कर रहे हो? घोषणाएं करने में भीआम आदमी पार्टी के नेता कांग्रेस की चालढाल वाले ही हैं। कांग्रेस सन् 1947 ई॰ से यही तो कर रही है लोग आकर्षक घोषणाओं से प्रभावित होकर इस आशा में वोट देते हैं कि शायद उनकी तकदीर बदलेगी लेकिन होता जाता कुछ नहीं है जिन नेताओं की अन्य दलों में इच्छाएं पूरी नहीं हुई वेआम आदमी पार्टी में शामिल हो रहे हैं आम आदमी पार्टी के पास क्या कोई ऐसी जादू की छड़ी या अमृत जल थोड़े ही है कि जिसके घुमाने या छिड़कने से सब समस्याओं का समाधान हो जाऐगा तथा लोग ईमानदार देशभक्त बन जाएंगे शीर्ष पर कोई राष्ट्रभक्त, ओजस्वी एवं दार्शनिक राजा के गुणों से विभूषित व्यक्ति विराजमान होगा तब ही भारत राष्ट्र का कल्याण होगा अरविंद केजरीवाल में वह बात दिखलाई नहीं पड़ती उसी पार्टी के सहयोग से उन्होंने सरकार बना ली - यह है इनकी असलियता परिस्थिति, समस्या एवं राष्ट्र के लोगों की धड़कन पहचान बिना बड़बोलापन लिए लोगों को बेरगलाने वाली ऊँची-ऊँची घोषणां करना कोई समझधारी की बात नहीं है इस पार्टी ने भी विदेश से गलत तरीके से चंदा लिया है, अरंिद केजरीवाल ने एम॰सी॰ शर्मा की शहादत पर देशद्रोहपूर्ण बयान दिया था, कमाल फारूकी जिन्होंने एक खूंखार आतंकवादी का समर्थन किया था उसी को केजरीवाल अपनी पार्टी में शामिल करने को उतारू है, प्रत्येक बड़े निर्णय हेतु जनता की सलाह लेने कीआम आदमी पार्टी की अनिर्णय की स्थिति तथा अपनी हैसियत योग्यता से कई गुणा अधिक वजनी कुछ भी कह देना- ऐसी अनेक बातें अरविंद केजरीवाल इनकीआम आदमी पार्टी को संदेह के घेरे में खड़ी कर देती हैं इसके सााि ही प्रशांत भूषण द्वारा बी॰एम॰यू॰ के एक सेमिनार में कश्मीर को भारत से अलग कर देने संबंध बयान, इनके अन्य साथियों द्वारा संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू पर दिए गए देशद्रोहपूर्ण बयान तथा बटाला हाऊस मुठभेड़ पर आतंकवादियों का समर्थन करके संबंधी स्वयं अरविंद केजरीवाल के बयान सेआम आदमी पार्टी तथा इनके अनुभवहीन नेताओं की सोच चरित्र को उजागर करता है आप हाथ की यह कैसी राजनीति चल रही है? मायावती, ममता बैनर्जी, अखिलेश यादव आदि ने भी अरविंद केजरीवाल की तरह व्यवस्था परिवर्तन का शोर मचाया था लेकिन आज सब लोग उन पर थू-थू कर रहें हैं केवल विरोध, निंदा, आलोचना आदि करना तथा रचनात्मक आदि कुछ करना किसी भ्ज्ञी काम का नहीं है इनके अधिकांश वक्तव्य कृत्य हड़बड़ी से भरे, राजनीति से भरे हुए, बड़ बोले, अहंकारपूर्ण एवं लोक लुभावने ही हैं कांग्रेस साम्यवादियों से अधिकांशतः इनकी सोच मिलती-जुलती है भारतीय सनातन दर्शन, जीवनमूल्यों, संस्कृति, सभ्यता, नैतिकता, खेतीबाड़ी, चरित्र खानपान आदि के संबंध में इनके विचार घिसे-पिटे एवं कांग्रेस से मिलते-जुलते हैं दिल्ली की जनता अन्य राज्यों की जनता को फूंक-फूंककर कदम रखने की जरूरत है कुछ सालों के लिए भारत राष्ट्र की जनता को एक राष्ट्रवादी सोच के उस महान नेता की जरूरत है जो भारत को चाणक्य चंद्रगुप्त की तरह एक कर सके तथा राष्ट्र के लोगों को राष्ट्र की जमीन से जोड़ सके राष्ट्र में बदलाव हो रहा है। आशा है राष्ट्र के लोग ऐसे महान राष्ट्र भक्त नेता की पदचाप को सुन पाएंगे तथा बड़ बोलों, अहंकारियों, तथाकथित महानों एवं नकली नेताओं से सावधान रहेंगे

-आचार्य शीलक राम

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