Wednesday, March 16, 2016

नर-नारी समानता व सम्मान का यह कैसा दर्शनशास्त्र है?


भारत के संदर्भ में यह कितना विचित्र एवं विडंबनाओं से भरा हुआ है कि यहां के निवासियों में पिछले 1000 साल की इस्लामी दासता 200 साल की अंग्रेजी गुलामी के बाद मिली आजादी के पश्चात् में विदेशी दासता गुलामी से उत्पन्न हीन भावना बाहर निकल नहीं पा रही है। रह-रहकर हम अपने अतीत को गालियां देने लगते हैं तथा पश्चिम का महिमा मंडन करने में अपना बड़प्पन समझने की मूढ़ता करने लगते हैं। अन्य अनेक विषयों को छोड़ दें तथा लड़की नारियों पर हो रहे अत्याचारों, उनके साथ हो रही छेड़छोड़ की घटनाओं, दहेज की समस्या, बलात्कार, गृहस्थी में हो रहे कार्य बोझ, पालन-पोषण के जिम्मेवारियों एवं उत्पीडन से हो रही महिला हत्याओं आत्महत्याओं पर विचार करें यह तो कतई सही है कि लड़कियों महिलाओं के साथ कई सदियों की गुलामी के कारण अनेक बंदिशें शुरू हुई तथा ये बंदिशें बाधाएं जो उस-उस समय में लड़कियों महिलाओं की सुरक्षा हेतु ही पनपी थीं वे बाद में कुरीतियों में परिवर्तित हो गईं इनके फलस्वरूप आजादी से पूर्व पश्चात् भी लड़कियों नारियों पर अनेक प्रकार के अत्याचार शुरू हो रहे तथा भेदभाव भी चरम पर पहुंच गया यह सब नहीं होना चाहिए था लेकिन हुआ तो है ही आजादी के बाद छठे सातवें दशक में कुछ घटनाएं ऐसी घटीं कि जिनसे प्रेरित होकर लड़कियों नारियों की सुरक्षा हेतु तथा उन्हें विषमता से मुक्ति दिलवाकर समानता के समान अवसर उपलब्ध करवाने के लिए सरकार ने संविधान में अनेक परिवर्तन किए भर्तियों में, सांसदों विधायकों को चुनने में, ग्राम पंचायतों के चुनावों में, शहरी नगरपालिका नगर निगम के चुनावों में, शिक्षा संस्थानों में प्रवेश लेने में आदि आदि जीवन के हर क्षेत्र में लड़कियों महिलाओं हेतु आरक्षण की व्यवस्था की गई है यह सब इसलिए किया जा रहा है कि ताकि उन्हें लड़कों पुरुषों के समान स्तर पर लाया जा सके वे भी लड़कों पुरुषों से कदम से कदम मिलाकर चल सकें तथा भारत राष्ट्र के विकास में वे भी अपना योगदान दे सकें लड़कियां महिलाएं चूल्हे-चैके बच्चे पैदा करने हेतु साधन बनकर ही रह जाएं अपितु अपनी प्रतिभा का वे भी उसी तरह से प्रदर्शन कर सकें जैसे कि लड़के पुरुष करते हैं सरकार समय-समय पर इस हेतु अनेक कानून बना रही है तथा पुराने कानूनों में बदलाव भी कर रही है
लड़कियां महिलाओं पर किसी प्रकार का अत्याचार हो तथा उन्हें भी सम्मानित जीवन जीने के भरपूर मौके मिलें यह कौन नहीं चाहेगा? आखिर लड़की नारी को भारतीय संस्कृति में देवी समान आदरणीय स्थान प्रदान किया गया है यह सब होना भी चाहिए लड़कियों को समान अधिकार देने या समान अवसर उपलब्ध करवाने के क्रम में भी शुरू से ही (आजादी के बाद) राजनीति हावी रही है। लड़कियों हेतु कानून बनाने उन्हें लागू करने के कार्य में लड़कियों का हित गौण लेकिन राजनीति प्रधान हो चुकी है इसी वजह से लड़कियों महिलाओं की सुरक्षा, समानता सम्मान हेतु बनाए गए कानून अब पुरुषों के उत्पीड़न, शोषण, जेलबंदी एवं आत्महत्या का कारण बनते जा रहे हैं आप किसी भी जेल में जाकर वहां पर उन-उन कैदियों की सूचि मांग लीजिए जो दहेज, महिला उत्पीड़न बलात्कार के जुर्म में सालों से जेलों में बंद है; आपको पता लग जाऐगा कि उनमें से 95 प्रतिशत झूठे मुकदमें करवाकर फंसवाए गए हैं कारण कोई अन्य ही था लेकिन अनेक कानून हैं जिनका सहारा लेकर अपना बदला लिया जा सकता है, अपनी भडांस निकाली जा सकती है तथा पुरुषों को उत्पीडि़त किया जा सकता है यह सब आजादी के बाद धड़ल्ले से हो रहा है। यदि लड़कियों महिलाओं के उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, बलात्कार, दहेज, आत्महत्या छेड़खानी आदि की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं तो इसके साथ-साथ लड़कों पुरुषों को झूठे मुकदमें लगवाकर फंसवाने के केस भी बढ़ते जा रहे हैं लड़कियों महिलाओं हेतु जो कानून भारत में बनाए गए हैं उनसे वह कार्य हो ही नहीं रहा जिसकी उनसे आशा की गई थी उल्टे दुरुपयोग कई गुना बढ़ चुका है इस सच्चाई की तरफ माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी पीछे ध्यान आकर्षित किया था तथा यह माना था कि महिला अधिकारों का दुरुपयोग खूब हो रहा है उन कानूनों को जो कि लड़कियों महिलाओं की सुरक्षा, उनके सम्मान उनकी सुरक्षा हेतु बनाए गए थे उन सबसे स्त्री पुरुष को दुश्मन की तरह प्रस्तुत किया जाने लगा है ऐसा आभास करवाया जा रहा है कि जैसे ये दोनों भारत-पाकिस्तान की तरह एक दूसरे के दुश्मन हों ऐसा माहौल बनाने में भारतीय सब राजनीतिक दलों, यहां के बिकाऊ मीडिया, विदेशी टुकड़ों पर पलकर भारत के विरूद्ध विषवमन करने वाले साम्यवादी अंग्रेजी विचारकों लेखकों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है ये ले-देकर भारत इसकी सभ्यता-संस्कृति को बदनाम करने के अवसरों की तलाश में रहते हैं
आज के वैज्ञानिक खुले विचारों का युग कहे जाने वाले युग में भी स्त्री पुरुष के संबंध में एकांगी, विद्वेषपूर्ण, दुषित, उच्छृंखल, जीवनमूल्य विरोधी एवं संकीर्ण बातों को खूब हवा दी जा रही है तथा समस्या की जड़ों में कोई भी नहीं जाना चाहता है कोई भारतभूमि से जुड़ा राष्ट्रवादी व्यक्ति यदि समस्या को वास्तविक रूप में समझकर उसकी चिकित्सा सार्वजनिक रूप से करने की कोशिश करे भी तो पूरा मीडिया उसके पीछे पड़ जाएगा तथा उसे राक्षस स्त्री विरोधी सिद्ध करके जेल में भिजवा देगा सच बोलने की सजा अपने जीवन को बर्बाद कर देना है। यह सब मूढ़ता आधुनिक वैज्ञानिक कहे जाने वाले युग में हो रही है। इस मूढ़ता के विरुद्ध बोलना भी मूढ़ता का परिचायक हो गया है। पाश्चात्य सभ्यता संस्कृति के अंधपिछलग्गूओं ने इस समस्या की चिकित्सा यह निकाली है कि स्त्री को पुरुष का पुरुष को स्त्री का दुश्मन बना दिया जाए भारतीय कानून इसमें इन मूढ़ों को मददगार ही सिद्ध हो रहा है लड़की या नारी को उच्छृंखल छोड़ देना या लड़के या पुरुष को कुछ भी करने देने की छूट दे देना कहां की समझदारी है? पाश्चात्य सभ्यता संस्कृति के मूढ़तापूर्ण अनुकरण का एक अन्य विषय लड़की लड़कों में समानता के संबंध में रहना-सहन को मान लिया तथा मनोवृत्ति को परे फेंक दिया इसके दुष्परिणाम हमारे प्रिंट इलैक्ट्रोनिक मीडिया पर स्पष्ट देखे जा सकते हैं समानता के इस दृष्टिकोण पर पूरा उतरने हेतु लड़कियां लड़कों की तरह जींस आदि पहन रही हैं लड़कियां शराब, सिगरेट, स्मैक, चरस, हरीश, एल॰एस॰डी॰ आदि का सेवन कर रही हैं बारों में जाकर नशे की चूरावस्था में नग्न नृत्य कर रही है लड़कियां इस प्रकार की मूढ़ताओं का कोई भी अंत नहीं हैं अब शायद लड़कियां संतान भी उत्पन्न बंद करना बंद करने हेतु प्रदर्शन करने लगेंगी तथा लड़कों से भी इस कृत्य कोे करने हेतु न्यायालय में जाएंगी क्या करेंगे न्यायालय ऐसी विकट स्थिति में? इस तरह यदि लड़कियों लड़कों में समानता आती होती तो इससे पहले ही कभी की जाती इस संबंध में सबसे विचित्र, मूर्खतापूर्ण, अवैज्ञानिक एवं अंधा दृष्टिकोण हमारे समकालीन शिक्षाविदों, सुधारकों, संविधान न्यायपालिका का है इन सबने मिलकर स्त्री के स्त्रीत्व को छीन लिया है लड़कियां आज समानता के चक्कर में लड़के बनने की होड़ में लगी हैं इसमें लड़की का हित कहां है? इसमें विजय लड़कों की हो रही है यदि लड़कियां लड़के बन रही हैं तो इसमें विजय लड़कों की तथा हार लड़कियों की हो रही है। इस तथ्य की तरफ तो लड़कियों का ध्यान है, शिक्षाविदों का, सुधारकों का, संविधान का तथा ही न्यायपालिका का लड़कियां महिलाएं आज लड़के पुरुष बनने के पागलपन में अपना स्त्रीत्व खोती जा रही हैं यह इस जगत् की सबसे खतरनाक घटनाओं में से एक है अस्तित्व के साथ धोखा है यह यही जीवन-दर्शन सही है कि लड़की पूरी तरह लड़की बने तथा लड़का पूरी तरह से अपने लड़कत्व को प्राप्त करें पश्चिम की अंधी नकल करने के चक्कर में हम अपनी जमीन से तो उखड़ ही गए हैं इसके साथ हम कहीं पहुंच भी नहीं पा रहे हैं और इसी को हम, हमारा मीडिया, हमारे राजनेता शिक्षाविद विकास कह रहे हैं
विकास करने, समानता को प्राप्त करने, सह-अस्तित्व को फलित करने, नर मादा को विकास समृद्धि के समान अवसर देने हेतु हम अपनी जमीन से ही उखड़ जाएं यह तो कहीं भी नहीं कहा गया अमेरिका, आस्टेªलिया, जर्मनी, फ्रांस, जापान इजरायल ने क्या अपनी जड़ों को भूलाकर अपना विकास किया है? नहीं, इन्होंने ऐसा नहीं किया। तो फिर हम ऐसी बेवकूफी क्यों कर रहे हैं? विकास करने का हम भारतीयों ने बेहद गलत अर्थ किया है इसे सुधारकर सही विकास के अर्थ को जीवन में उतारने की महती जरूरती है हमारे भारत में आए दिन ऐसी घटनाएं हो रही हैं जिनसे लड़की लड़के के भेद को और भी अधिक चैड़ा किया जा रहा है लेकिन ऐसा करके हमारे मूढ़ वोट के लालची नेता तथा हमारी अंधी न्यायपालिका ऐसा सोचती है कि जैसे वे राष्ट्र की महान सेवा कर रहे हैं जो व्यक्ति, माता-पिता, परिवार, पंचायतें, खाप पंचायतें, हिंदू महासभा तथा अन्य जमीन से जुड़े संगठन लड़कियों द्वारा पहने जाने वाले अश्लील भड़काऊ कपड़ों, मोबाईल फोन के प्रयोग उनके रेव पार्टियों में जाने पर एतराज करते हैं तो सारा का सारा मीडिया तथा नारीवादी संगठन हाथ धोकर उनके पीछे पड़ जाते हैं। उनको प्रत्येक प्रकार से संकीर्ण सोच का, पुरातनपंथी, पूर्वाग्रही, लड़कियों नारियों का दुश्मन तथा लड़कियों नारियों को दासी की तरह रखने की मानसिकता वाला कहकर न्यायालय में पहुंच जाते हैं न्यायालय बिना सोच-विचार किए उनको जेल भी भेज देते हैं हमारे नेताओं को तो क्योंकि वोट चाहिए इसलिए ये किसका समर्थन करेंगे तथा किसका विरोध करेंगे यह पहले से तय नहीं होता है यह तय होता है लाभ-हानि के दृष्टिकोण से ये भी तुरंत खंडन-मंडन करने लगते हैं सृष्टि के सबसे निकृष्ट प्राणी यानि की नेता किस वक्त क्या करेंगे वे क्या कहेंगे यह स्वयं उनको भगवान् को भी पता नहीं होता है पिछले सालों एक लड़की ने कामुकता में अंधी होकर अपने घर के सात सदस्यों को अपने प्रेमी संग मिलकर मौत के घाट उतार दिया था यह रोहतक के एक गांव की घटना है पिछले सालों ही किसी विधायक की बेटी ने अपने पूरे परिवार को अफीम मिली खीर खिलाकर अपने पूरे परिवार को अपने प्रेम संग मिलकर पीट-पीटकर मार डाला था उन्हें फांसी की सजा हो चुकी है पंजाब में भी पीछे ऐसी ही घटना घटी थी अभी-अभी रोहतक के थाना खूर्द गांव की दो लड़कियों ने चलती बस में तीन लड़कों पर छेड़खानी का आरोप लगाकर उनकी सरेआम पिटाई कर डाली सारे न्यूज चैनल इन दो लड़कियों पूजा आरती को नैशनल हीरो बनाने पर तुल गए अनेक संस्थाओं ने नकद पुरस्कार देने की घोषणाएं कर डालीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इन लड़कियों को 31-31 हजार रुपये का नकद पुरस्कार तथा 26 जनवरी के दिन बहादुरी पुरस्कार देने की घोषणा कर दी मायावती आदि ने स्त्रियों तथा महिला आयोगों ने भाषणबाजियों की तथा हरियाणा की कानून व्यवस्था में कमियां निकालीं हिंदू महासभा खाप पंचायतों को गालियां दी गईं कुरुक्षेत्र की जयराम विद्यापीठ के देवेन्द्र स्वरूप ब्रह्मचारी ने तो गीता जयंती पर इन लड़कियों को 5100-5100 रुपये का पुरस्कार देकर अपने ब्रह्मचर्य को सिद्ध ही कर दिया न्यायालय ने तीनों लड़कों को जेल भी भेज दिया अब भांडाफोड़ हुआ है कि सब कुछ पूर्वनियोजित था इन लड़कियों ने ही उन तीन लड़कों से एक लड़के की मदद लेकर छेड़छाड़ की शुरूआत की तथा बाद में पिटाई की साथ में उस लड़के की मदद से वीडियो बनवाया नैट पर डाल दिया ये लड़कियां पहले भी ऐसा कई बार कर चुकी हैं तथा डरा-धमकाकर रुपये ऐंठ चुकी हैं सारा मामला प्रसिद्धि प्राप्त करने पुरस्कार अर्जित करने तथा मीडिया में छा जाने हेतु आयोजित था लेकिन कहते हैं कि मानवता पूरी तरह मरती नहीं है एस॰ पी॰ महोदय ने लड़कियों के समर्थन में गवाही की सरेआम अपील की लेकिन लड़कों के समर्थन में एक नहीं अपितु सात नौ व्यक्ति खड़े हो गए जो उस ड्रामे के समय बस में सफर कर रहे थे चार महिलाएं तो उन लड़कियों के गांव की ही हैं। एक और घिनौनी बात इस संबंध में यह है कि इस घटना का माध्यम बनाकर हरियाणवी समाज संस्कृति को गालियां दी गईं पूरे भारत में उसे बदनाम किया गया यह पचारित करके कि लड़के सरेआम बस में लड़कियों को छेड़ रहे थे लेकिन कोई भी बस यात्री उन्हें बचाने नहीं आया अब कहां गए वे चैनल जो पूरे हरियाणा की अस्मिता को बदनाम कर रहे थे? कहां गए वे ढोंगी नेता समाचार-पत्रों के संपादक जो लड़कियों नारियों की इज्जत का बहाना बनाकर यहां के जीवन, रहन-सहन, धर्म, खानपान, शिक्षा, आचरण विचारों को पुराणपंथी दकियानूसी सिद्ध कर रहे थे? अब इन सारे मीडिया चैनलों, समाचार-पत्रों, नेताओं, महिला आयोगों स्वयं उन लड़कियों पर मुकदमें दर्ज होने चाहिएं। देखते हैं कि भारत का कानून क्या करता है? जो कानून एक सप्ताह पहले लड़कियों के हक में इतना सक्रिय हो गया था क्या वह अब भी उतनी सक्रियता दिखलाएगा तथा दर्ज करेगा मुकदमें उन लड़कों को बेवजह बदनाम करने, प्रताडि़त करने, जेल में डालने तथा उनके करियर को बर्बाद करने वालों के विरूद्ध? सारे टी॰वी॰ चैनलों, समाचार-पत्रों, हरियाणा के मुख्यमंत्री, कृषिमंत्री, महिला आयोग, रोहतक के पुलिस अधीक्षक, आई॰ ओ॰, न्यायालय मायावती तथा स्वयं उन चरित्रहीन बदचलन लड़कियों की करतूतों गैर-कानूनी कार्रवाई पर अब कोई कुछ तो बोलेगा तथा ही कोई कार्रवाई करेगा यह है समान दृष्टि से देखने वाला भारतीय कानून लड़कियों महिलाओं को आजादी के नाम पर उच्छृंखल बनाया जा रहा है। उनके हितों की रक्षा के नाम पर पुरुषों को प्रताडि़त करने हेतु एक तरह मुगलिया कानून हमारे यहां चल रहे हैं महिला तो कई वर्ष से जेल में बंद साध्वी प्रजा भी है। उन पर जेल में ही अनेक जुल्म हुए हैं लेकिन सब चुप हैं राजीव गांधी की हत्या भी एक महिला ने ही की थी मायावती भी महिला हैं, जयललिता भी महिला हैं तथा ममता बैनर्जी भी महिला हैं जिन पर कई-कई मुकदमें चल रहें हैं अब लगने लगा है कि आशाराम बापू को भी महिला शोषण के नाम पर अवश्य ही फंसाया गया है अंधा कानून मनुष्य जाति के एक वर्ग को बर्बादी के गड्ढों में ढकेले रहा है और वह भी उनके हितों की दुहाई देकर लड़के लड़कियों या महिलाएं पुरुष दोनों ही सम्मान समानता का जीवन जीए यह हम भी चाहते हैं। दोनों को विकास के समान अवसर उपलब्ध हों तथा राष्ट्र को आगे ले चलने में दोनों की ही भागीदारी हो, यह कौन नहीं चाहेगा? अरे ! अपराधी को सजा दो, निर्दोष को नहीं जो कुछ चल रहा है इससे लड़कियों महिलाओं पर अत्याचार उनका शोषण बढ़ेगा ही, कम नहीं होगा एक सही समस्या को गलत ढंग से उठाकर तथा उसके मूढ़तापूर्ण समाधान प्रस्तुत करके मनुष्य जाति के दो जीवों नर मादा को परस्पर दुश्मन बना दिया गया है तथा यह सब करने वाले सारे के सारे व्यक्ति या संस्थाएं यह सब कानून के नाम पर कर रहे हैं यदि मनोवृत्ति परिवर्तित नहीं हुई तो इसके गंभीर दुष्परिणाम भुगतने हेतु हम सबको तैयार रहना चाहिए
-आचार्य शीलक राम (9813013065, 8901013065)

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