Wednesday, March 16, 2016

तथाकथित संत रामपाल का मायाजाल

आपराधिक, अनैतिक, शोषक एवं लूट प्रवृत्ति के व्यक्ति जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मिल जाएंगे राजनीति, धर्म, व्यापार, खेलकूद, विज्ञान, शिक्षा, नैतिकता समाजसुधार के विभिन्न क्षेत्रों में उपरोक्त प्रवृत्ति के व्यक्ति खूब मिल जाएंगे एक सीमा तक तो सब ठीक ही होते हैं लेकिन जब शोषण, लूट, बदले की भावना, कामुकता भोग की वृत्ति ठहाके मारने लगती है तो व्यक्ति अपनी सीमाओं का उल्लंघन कर देता है बस यही वह अवस्था होती है जब कोई व्यक्ति रामपाल, लादेन, बुखारी या ओवैसी बन जाता है यह तो होता है इनकी अपनी तरफ से। लेकिन इनकी इस दुष्ट आपराधिक जीवनशैली को तब और भी सहारा मिल जाता है जब दो क्षेत्रों के आपराधिक प्रकार के लोग परस्पर मिल जाते हैं धर्म राजनीति, राजनीति खेल, राजनीति व्यापार, राजनीति लूटगिरी.... इनमें से ये जब मिलते हैं तो इनकी आपराधिक प्रवृत्ति, लूट, शोषण, डकैती, मारामारी बदले की भावना कई गुनी बढ जाती है रामपाल कोई एक दिन में रामपाल नहीं बना है अपितु इसके इस तरह बनने में कई वर्ष लगे हैं अपने आपको संत, जगत्गुरु दिव्य पुरुष कहने वाले रामपाल को राजनेताओं ने खूब सहारा दिया है जिस प्रकार से हरियाणा में गुरमीत राम रहीम उनके डेरे के साथ राजनेताओं का लाभ-हानि का गठजोड़ सदैव से रहा ही है उसी प्रकार से तो नहीं लेकिन राम रहीम से थोड़ा कम गठजोड़ राजनेताओं रामपाल का भी रहा है रोहतक स्थिति करौंथा आश्रम में प्रशासनिक अधिकारियों नेताओं का आना-जाना लगा रहता था इस समय भी हरियाणा में भाजपा की मनोहर लाल खट्टर की राज्य सरकार को पूर्ण बहुमत गुरमीत राम रहीम के डेरे के आशीर्वादस्वरूप ही मिला था रामपाल के बरवाला स्थित आश्रम के आसपास के तीन चुनाव जीतकर आए भाजपा के विधायक गिरफ्तारी से पूर्व तक रामपाल से मोबाईल से जुड़े हुए थे गुरमीत राम रहीम पर भी तो कई आपराधिक मुकदमें चल रहे हैं भारत में राजनेताओं, धर्मगुरुओं, खिलाडि़यों, व्यापारियों, शिक्षाशास्त्रियों सुधारकों डाकूओं के बीच एक खास कोटि का सम्बन्ध रहता ही आया है किसी भी नेता के ईर्द-गिर्द दस-बीस गूंडा-तत्त्वों का जमावड़ा जब तक साथ नहीं चलता है जब तक वह नेता कहलाने का अधिकारी ही नहीं होता है अब स्वामी रामदेव का भी जैड-आसन यानि जैड सुरक्षा का प्रपंच शुरू हो चुका है। भई ! आखिर स्वामी रामदेव की जरूरत जो है इस विश्वगुरु भारत राष्ट्र को योग के प्रचार समाजसुधार की क्रान्ति के बाद अब शिक्षा में भी तो ‘आचार्यकूलम’ के जरिय क्रान्ति करनी है खैर ! रामपाल रामदेव की तुलना करना तो परले दर्जे की मूढ़ता ही कही जाऐगी
            संत, तत्त्वदर्शी, जगत्गुरु के साथ-साथ अपने आपको भगवान् का एकमात्र दिव्यदूत घोषित करने वाले रामपाल अब तो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं अब तो मीडिया नेताओं की कृपा की वजह से वे वास्तव में ही जगत्गुरु बन चुके हैं ये महाशय जी कबीर अपने सिवाय किसी को नहीं मानते भगवान् कबीर हैं तथा वे स्वयं ही उसकी शिक्षाओं, शक्तियों प्रकृति वे वाहक हैं जगत् के निर्वाण का ठेका केवलमात्र उनके पास है इसी वजह से तो उन्हांने अपने बरवाला स्थिति तथाकथित आश्रम में बीस हजार व्यक्तियों को मानव बम बनाकर यह कहकर रखा हुआ था कि यदि वे मर भी जाएंगे तो सीधे सतलोक में जाएंगे धर्म के नाम पर शोषण का यह बड़े उदाहरणों में से एक उदाहरण है बरवाला स्थित पचास एकड़ में फैले इन महोदय के साम्राज्य में बनाए भव्य आश्रम में इन्होंने राज्य सरकार से दो-दो हाथ करने के साधन जुटाने की कोशिश कर रखी थी लेकिन राज्य से लड़ाई लड़ना इतना सरल नहीं है इस तरह की लड़ाई राज्य के साथ लड़नी है तो सात्विक ढंग से विरोध करके लड़ों; कि हजारों व्यक्तियों को मानव बन बनाकर या तेजाब के पाऊचों से हमला करके या पत्थर फैंककर या एल॰पी॰जी॰ सिलेंडरों में विस्फोट करके या कमांडों की फौज तैयार करके रामपाल ने अपने अड्डे पर यह सब करके रखा हुआ था। यदि यह सब नहीं होता यानि कि रामपाल की शक्ति कतई कम होती तो पंद्रह दिन से हरियाणा पुलिस अन्य सुरक्षा बलों के चालीस हजार व्यक्ति वहां पर क्यों लगाए जाते? हरियाणा राज्य की भाजपानीत खट्टर सरकार सही तरह से इस समस्या का समाधान नहीं कर पाई क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ के मंझे हुए सैनिक मुख्यमंत्री से यह आशा नहीं की जा सकती कि वह इस तरह की कमजोर अपमानजनक रणनीति से रामपाल का सामना करेंगे सैंकड़ों लक्जरी कारों हजारों अन्य भारी वाहनों के स्वामी रामपाल भारत की न्याय-व्यवस्था हरियाणा की खट्टर सरकार के लिए एक भारी चुनौति थे अब भी हैं उनका यह मामला उनकी गिरफ्तारी से शान्त नहीं हुआ है तथा ही भविष्य में होगा इसी न्याय-व्यवस्था भ्रष्ट नेताओं का सहारा लेकर यह दुष्ट धर्म का दुश्मन फिर से खड़ा हो जाएगा भारतीय न्याय-व्यवस्था का ऐसा लाभ पूर्व में अनेकों नेता, धर्मगुरु, व्यापारी, खिलाड़ी, बदमाश तस्कर उठा चुके हैं यदि ऐसा होता तो सैकड़ों के करीब गैर जमानती वारंट जारी होने के बावजूद भी इमाम बुखरी ऐसे आजाद घूमते तथा ओवैसी जैसे भारत विरोधी हिन्दुत्व के दुश्मन अपना अलग राजनीतिक दल बनाकर महाराष्ट्र जैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गढ़ महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव में दो सीटें जीत पाते यह भारत यानि कि इंडिया है भाई यहां भारत का नहीं अपितु अंग्रेजी कानून चलता है अब भी यहां कानून की नजर में हिन्दू, मुसलमान ईसाई में अन्तर किया जाता है पंथनिरपेक्ष भारत की बात सिर्फ लिखने तक सीमित है, व्यवहार में तो हिन्दू धर्म के संत ही जेल में हो सकते हैं, मुसलमान ईमाम ईसाई पादरी नहीं अवसरवाद, तुष्टीकरण भेदभाव यहां सरेआम चल रहा है यहां तो संतों के आश्रमों, ईमामों के मदरसों पादरियों के ठिकानों से शराब के ट्रक मतदाताओं को लुभाने प्रभावित करने हेतु सैंकड़ों की संख्या में भेजे जाते हैं मालूम नहीं इससे धर्म पर अधर्म की विजय होती है या अधर्म पर धर्म की विजय होती है सामान्य व्यक्ति जब तक समझ पाता है तब तक तो बहुत देर हो चुकी होती है
            रामपाल ने तो व्यर्थ ही अपनी जातिबुद्धि के कारण संकट मोल लिया जोकि उसकी जाति के बारे में अक्स कहा जाता है इसी हठीपने के कारण कई बार हनुमान शिवजी तक को भी हरियाणा में इन्हीं की जाति का कहकर मजाक करते हैं अच्छा-खासा धर्म के नाम पर व्यापार चल रहा था रामपाल का परन्तु अपनी इसी मूढ़ता विशेषता के कारण उन्होंने सत्यानाश कर लिया है क्या जरूरत थी दुनिया के सबसे बड़े तार्किक महर्षि दयानन्द पर अभद्र टिप्पणियां करने की, श्रीमद्भगवद्गीता को काल के द्वारा रचित मानने की, काल यानि कमाल द्वारा दुर्गा के साथ बलात्कार स्वरूप ब्रह्म-विष्णु-महेश की उत्पत्ति बतलाने की, स्वयं को जगत्गुरु तत्त्वदर्शी तथा कबीर को परमात्मा घोषित करने की, हिन्दू कर्मकांड को बंद करवाकर अपने नाम पर नए कर्मकांड शुरू करने की, सबके ताबीज-लाॅकेट फिंकवाकर स्वयं का लाॅकेट पहनाने की, यज्ञ-हवन का विरोध करने की, वेदों में कबीर का नाम ढूंढने की, विवाहित नारियों के मंगलसूत्र उतरवाकर स्वयं का लाॅकेट पहनाने की, कबीर स्वयं के सिवाय सभी भगवानों गुरुओं को नकली घोषित करने की, वर्तमान में स्वयं को ही एकमात्र असली गुरु घोषित करने की, स्वर्ग का ठेका केवल स्वयं के पास सुरक्षित होने की घोषणा करने की? अरे! अन्यों का धंधा चल रहा था आपका भी चलता रहता अब सड़ेंगे जेल में देशद्रोह तथा अन्य कई मुकदमें इनके विरूद्ध दर्ज हो चुके हैं सनातन हिन्दू धर्म के हमारे भाई इतनी मूच्र्छा में क्यों रहते हैं कि उनके बीच का कोई भी व्यकित इस धर्म का अपने स्वार्थ हेतु प्रयोग करता है और ये चुप रहते हैं शुक्रिया करो ‘आर्यसमाज’ संगठन का कि जिसने इस ढोंगी का सर्वप्रथम विरोध पर्दाफाश किया धर्म की रक्षा यदि हम नहीं करेंगे तो वह ही हमारा विनाश कर डालेगा भगवान् मनु की वाणी, ‘धर्मो रक्षित रक्षितः’ का हमें ख्याल ही नहीं रह गया है इसीलिए तो हम रामपाल, बुखारी, ओवैसी जैसों के आचरण पर मौन धारण किए रहते हैं। जिद्दू कृष्णमूर्ति ओशो रजनीश के शब्दों में जागना ही इसका एकामत्र उपाय है। महर्षि दयानन्द के शब्दों में तर्क से तोलकर प्रत्येक बात को स्वीकार या अस्वीकार करना ही इसका समाधान है सनातन आर्य वैदिक हिन्दू धर्म की रक्षा अभिवृद्धि हेतु होश से अपना जीवन जीएं तथा तर्क के तराजू पर तोलकर हरेक बात को मानें या मानें समृद्ध भारतीय दर्शनशास्त्र इसमें हमारी प्रत्येक प्रकार की मदद करने में सक्षम है इसको अंगीकार करें अपने शिक्षा-पाठ्यक्रम में तथा अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में केवल इसी से ही हम अपने, अपने परिवार समाज का, अपने भारत राष्ट्र का तथा सारे जगत् का बाहरी-भीतरी कल्याण कर सकने में सफल हो सकते हैं।
-आचार्य शीलक राम(9813013065, 8901013065)

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