Wednesday, March 18, 2020

प्रेम व्रेम कुछ.....

जानू जानवर , क्यूटी कुत्ती
एक दिन तो,बन ही जाना है।
स्वार्थ के ही सभी रिश्ते नाते
काम निकला ,जुत्ते खाना है।।
जानू,बाबू,हमदम,प्रियवर सब
स्वार्थ की नींव पर खड़े हुए हैं।
अपना अपना काम निकालने
परस्पर गर्दनों पर चढ़े हुए हैं।।
किसी के यहां आने - जाने से
किसी को फर्क नहीं पड़ता है।
हताशा, चिंता व झूठे प्रेम से
नूर चेहरे का झड़ता जाता है।।
होली आए या आए दुलहंडी
बसंत ऋतु की मदमस्त बहार।
चौदह फरवरी प्रेम दिवस कोई
सच्चा जग में कोई विरला यार।।
जीवन जी लो,दिखावा छोड़कर
सच्चा प्रेम कुछ,बस हो जाने दो।
कुछ नहीं रखा है अकड़ में प्यारे
पहाड़ सम अहं को खो जाने दो।।

1 comment:

  1. जीवन जी लो,दिखावा छोड़कर
    सच्चा प्रेम कुछ,बस हो जाने दो।--बढिया

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