Tuesday, August 18, 2020

श्रीकृष्ण व वर्तमान फ़ूहडता

                   पिछले 1300-1400 वर्षों के दौरान धर्मगुरुओं,गीताकारों,गीतामनिषियों तथा कृष्ण कथाकारों ने श्रीकृष्ण के बाल व किशोर रुप में जिस अश्लीलता,फूहडता,चरित्रहीनता,भगौडेपन,ओछेपन की कपोल-कल्पित कहानियों को लीला लीला कहकर उन पर थोप दिया है ,,, इससे श्रीकृष्ण का जीवन हंसी मखौल का विषय बनकर रह गया है,,, कहां हमें श्रीकृष्ण के जीवन से राष्ट्र रक्षक, संस्कृति रक्षक,धर्म रक्षक,चरित्र रक्षक तथा अन्याय अधर्म अव्यवस्था के विरुद्ध लड़ने की सीख लेनी थी और कहां हमने उन महापुरुष श्रीकृष्ण को हंसी मखौल का पात्र बना दिया है,,,,,,, श्रीकृष्ण द्वारा प्रदत्त गीतोपदेश भी इन मूढ धर्मगुरुओं,कथाकारों,गीता मर्मज्ञों व गीता मनीषी कहे जाने वालों की मूढ दृष्टि से बचा नहीं रह सका है,,,,,जागो भारतीयो जागो!!!

वह जिंदा है

      बतला दो उनको कि वह जिंदा है।

उन्मुक्त गगन में उड़नेवाला परिंदा है।

हैसियत से भी अधिक दिया है सबको,
फिर भी हरेक से मिली निंदा ही निंदा है।।
n Singh और

खून के आंसू

 हंसने की मत पूछो,पूछो रोने की।

पाने की मत पूछो,पूछो खोने की।
कुछ अभागे बस दुखों की पोटली ढोने को होते हैं,
अंतिम इच्छा होती है बस श्मसान में एक कोने की।।
समय का खंजर सबको नहीं मारा जाता।
बिगडे हुओं को यहां सुधारा नहीं जाता।
सृजनशील के ही सब यहां पर जानी दुश्मन होते हैं,
किसी के भी द्वारा उनको यहां पर उभारा नहीं जाता।।
खून के आंसू सिर्फ सुने हैं,निकाले नहीं हैं।
वे बेचारे किसी ने कभी संभाले नहीं हैं।
सात समुंदर भी खाली हो जाएं उनके दुख के सामने,
उनके लोक परलोक सतलोक में कोई रखवाले नहीं हैं।।
डॉ शीलक राम
वैदिक योगशाला
कुरुक्षेत्र

राष्ट्रहित, संस्कृति हित व धर्म

        राष्ट्र हित , संस्कृति हित व धर्म हित के लिए हमारे यहां हिंदुओं में निस्वार्थ भाव से लोगों के बीच में जाकर उन्हेंं भलि तरह से समझाने वाले कार्यकर्ता कितने हैं?,,, दो कौड़ी के नेताओं के आगे पीछे पूंछ हिलाकर हिंदू विरोध,हिंदी विरोध व हिंदुत्व विरोध में काम करने वाले धर्मगुरु, संत,मुनि,योगी,सुधारक,कथाकार हमारे यहां हजारों की संख्या में हैं,,,हिन्दू धर्मगुरु ,संत,मुनि,योगी,व सुधारक अपना कर्त्तव्य नहीं निभा रहे हैं,,, जनसामान्य को किसी भी दिशा में मोडा जा सकता है लेकिन कोई उन्हें ऐसा करने वाले तो हों,,, ईसाईयों व मुसलमानों में ऐसे कार्यकर्ता बहुतायत से हैं,,, हमारे यहां तो धर्मगुरु,सुधारक व संत लोग भी हिंदुओं का अधिकांश में नेताओं द्वारा शोषण करवाने पर लगे हैं या फिर स्वयं के मत,पंथ, विचार को आगे बढ़ाकर दौलत जोड़ने में लगे हुए हैं,,, हमें इसमें सुधार की अत्यधिक जरुरत है,,, हमारे यहां तो अब हालत ऐसी हो गई है कि हिंदू, हिंदी, हिंदुत्व की सही में आवाज उठाने वाला व्यक्ति इस समय सर्वाधिक प्रताड़ित, गालियां खाने वाला व उपेक्षित है,,, हिंदू ही हिंदू को हिंदू हित में आवाज उठाने से रोक रहे हैं,,,।

 राष्ट्र हित , संस्कृति हित व धर्म हित के लिए हमारे यहां हिंदुओं में निस्वार्थ भाव से लोगों के बीच में जाकर उन्हेंं भलि तरह से समझाने वाले कार्यकर्ता कितने हैं?,,,

दो कौड़ी के नेताओं के आगे पीछे पूंछ हिलाकर हिंदू विरोध,हिंदी विरोध व हिंदुत्व विरोध में काम करने वाले धर्मगुरु, संत,मुनि,योगी,सुधारक,कथाकार हमारे यहां हजारों की संख्या में हैं,,,
हिन्दू धर्मगुरु ,संत,मुनि,योगी,व सुधारक अपना कर्त्तव्य नहीं निभा रहे हैं,,,
जनसामान्य को किसी भी दिशा में मोडा जा सकता है लेकिन कोई उन्हें ऐसा करने वाले तो हों,,,
ईसाईयों व मुसलमानों में ऐसे कार्यकर्ता बहुतायत से हैं,,, हमारे यहां तो धर्मगुरु,सुधारक व संत लोग भी हिंदुओं का अधिकांश में नेताओं द्वारा शोषण करवाने पर लगे हैं या फिर स्वयं के मत,पंथ, विचार को आगे बढ़ाकर दौलत जोड़ने में लगे हुए हैं,,, हमें इसमें सुधार की अत्यधिक जरुरत है,,,
हमारे यहां तो अब हालत ऐसी हो गई है कि हिंदू, हिंदी, हिंदुत्व की सही में आवाज उठाने वाला व्यक्ति इस समय सर्वाधिक प्रताड़ित, गालियां खाने वाला व उपेक्षित है,,, हिंदू ही हिंदू को हिंदू हित में आवाज उठाने से रोक रहे हैं,,,।

महर्षि पंतजलि का योग

          महर्षि पतंजलि के योगशास्त्र को प्रयोगात्मक रुप से जनसामान्य को समझाने वाले व्यक्ति हमारे यहां उंगलियों पर गिनने योग्य हैं,,, अधिकांश योगाचार्य व योगाभ्यास करवाने वाले लोग या तो आसन प्राणायाम को ही योग कहकर प्रचारित कर रहे हैं या फिर योग के अन्य अंगों की मनमानी व बे-सिर-पैर की व्याख्याएं करके लोगों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं,,, इनके पास मूढ चेलों व नेताओं की ताकत इतनी है कि सीधे सीधे इन्हें चुनौती देना खतरे से खाली नहीं है,,,देख नहीं रहे कि भारत में कितने भगवान,संत,मुनि,कथाकार,स्वामी,योगी,मां,गीता मनीषी, गुरु, सदगुरु,तत्वज्ञानी आदि पैदा हो गये हैं,,,।


होश का दीपक

 होश का दीपक

.......................................
मानसिक तनाव ज्वालामुखी
कुंठा , हताशा बने तूफान।
अतृप्ति मचलती नदियां बनी
पर - पग पर खडे व्यवधान।।
जिस पथ पर भी चलना हुआ
वहां पर कांटें करें इंतजार।
सृजन के कहीं न दर्शन हुए
मिला दुश्मनों सा व्यवहार।।
चुनौतियां सदा बुलाती रहीं
प्रतीक्षा बस मारने -मरने की
मुर्दा यह जीवन बना दिया
नहीं आशा कोई सुधरने की।।
चिंता सदैव चिता बनती रही
यहां पर निराशा ने डाला डेरा।
दशों दिशाएं अंधकारमय सी
कभी भी नहीं देखा सवेरा।।
व्यथा,पीडा प्रियतमाएं रहीं
अतृप्ति को अपने संग लेकर।
मित्रों के दिए विश्वासघात ने
असफलताओं को रखा संजोकर।।
कहां से आया,कहां पर जाना
इस जीवन में क्या करना है।
सबके मध्य 'होश' का दीपक
इन सबसे यहां गुजरना है।।
…......................................
डॉ शीलक राम
दर्शन विभाग
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय
कुरुक्षेत्र

Tuesday, March 24, 2020

माँ


जीवनदायिनी तुम
है जीवन का सार तुमसे
तुम हो अनंत
तुलना नही तुम्हारी किसी से
धरा सी तुम हो सहनशील
सबकी प्यास बुझाने वाला
जल हो शीतल
दुःख सहकर सुख बांटती
परिस्थिति हो चाहे जितनी विकल
सागर की गहराई जितना
गहरा होता माँ का प्यार
अपने बच्चों पर माँ तो बस
उसे लुटाती बार-बार ॥
..........Posted by Aruna

Saturday, March 21, 2020

मौन

सरल-सहज है तुम्हारी सूरत
देवलोक की जैसे कोई मूरत
मूरत होकर भी अमूर्त लगती
भीतर जाने को शक्ति जगती । 1
देख-देखकर कोई समझ न पाए
बिन समझे क्या खाक बताए
सारा खेल है समझ, अनुभूति का
प्रज्ञा-रूप एक दिव्य द्युति का । 2
अवलोकन करते जो बाहरी रूप का
वे रहस्य न जाने शश्वत् अरूप का
क्षणभंगुर है बाहरी सब दिखावा
मिलेगा अंत में बस पछतावा । 3
मैदानी क्षेत्र में जैसे नदिया बहती
रहकर मौन बहुत कुछ कहती
बहती रहती वह शांत भाव से
संघर्ष किए बिन, बिना दुराव से । 4
तृप्तिदायी है तुम्हारी झलक
मन करता देखने को अपलक
भीतर तक शांति छा जाती
अपनी ऊर्जा से खूब नहलाती । 5
""आचार्य शीलक राम""

Friday, March 20, 2020

अधखुली खिडकी ...

झांक रही है मेरी
अधखुली खिडकी से
सूखे दरख्त की सूखी डाली,
एक संप्रेक्षण था,
थी एक मौन अभिव्यक्ति,
मानो कुछ ना कहकर भी
सब कह दिया उसने,
उस ठूंठ होते दरख्त की
जीजिविषा, कितना जीवट,
हां वह दरख्त सूख रहा है
लेकिन कहां अटकी हैं
उसकी सांसे, उस आखिरी
पत्ते पर, हां उसी
सूखी सी डाली पर जो
झांक रही है मेरी खिडकी में...


Posted by : अरुणा