पिछले 1300-1400 वर्षों के दौरान धर्मगुरुओं,गीताकारों,गीतामनिषियों तथा कृष्ण कथाकारों ने श्रीकृष्ण के बाल व किशोर रुप में जिस अश्लीलता,फूहडता,चरित्रहीनता,भगौडेपन,ओछेपन की कपोल-कल्पित कहानियों को लीला लीला कहकर उन पर थोप दिया है ,,, इससे श्रीकृष्ण का जीवन हंसी मखौल का विषय बनकर रह गया है,,, कहां हमें श्रीकृष्ण के जीवन से राष्ट्र रक्षक, संस्कृति रक्षक,धर्म रक्षक,चरित्र रक्षक तथा अन्याय अधर्म अव्यवस्था के विरुद्ध लड़ने की सीख लेनी थी और कहां हमने उन महापुरुष श्रीकृष्ण को हंसी मखौल का पात्र बना दिया है,,,,,,, श्रीकृष्ण द्वारा प्रदत्त गीतोपदेश भी इन मूढ धर्मगुरुओं,कथाकारों,गीता मर्मज्ञों व गीता मनीषी कहे जाने वालों की मूढ दृष्टि से बचा नहीं रह सका है,,,,,जागो भारतीयो जागो!!!
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