विकास नहीं यो विनाश सै...
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दुख अ दुख आडै भरे जगत म्हं,
भोगे ब्यना सरै कोन्यां!
ब्यना पहुंच अर ब्यना जुगाड़ के,
असंभव सै उसका सफल होना!! 1
झूठे नारे अर झूठे आदर्श सैं,
जनता नैं बेवकूफ बणावण लागरे!
म्हनत करणियां नैं फल ना म्यलता,
लूटेर् यां के आडै खूब भाग जागरे!! 2
लूटखसोट का फल म्यल्लै आडै,
पुरुषार्थ करणियां भूखे मरैं सैं!
भगोड्यां नैं जो खडे खोद्दे सैं,
किसान मजदूर उननैं भरैं सैं!! 3
जिसका लट्ठ आडै उसकी म्हस सै,
ईमानदारां की कती माट्टी प्यटरी !
बेईमान्ने म्हं जो कती डूबरे,
उनकी ज्यंदगी मजे तैं क्यटरी!! 4
आदर्श अर नार् यां तैं पेट ना भरता,
जमीनी विकास कुछ होणा चाईए!
नेतां का ईसा फंडा होग्या सै,
सबनैं भूखा मारकै खुद मजे तैं खाईए!! 5
अन्याय विरुद्ध जै आवाज उठाई,
कच्छा धोती जेल म्हं सुखैंगे!
जूल्मां नैं ब्यस सहन करे जा,
ये सब म्यलकै देश नैं न्यूएं लूटैंगे!! 6
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आचार्य शीलक राम
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