Monday, February 13, 2023

आज्या रेह रेह माट्टी देख ले...

आज्या रेह रेह माट्टी देख ले...
हरियाणा म्हं आ जाईये,तनैं नर्क के दर्शन करा द्यूंगा!
हाहाकार हर दिशा माचरी, तनैं प्लास्टिक की घास चरा द्यूंगा!!
हल अर बैल गहगूम होगे,हाली पाली नामोनिशान नहीं!
धरती माता तैं बैर बांध लिया,कडै बी देसी गीहूं, बाजरा अर धान नहीं!
ज्ञान की गठडी बांधकै आज्या,तनैं कती झूठा ठहरा द्यूंगा!! 1
हाडतोड म्हनत करकै बी, गरीबी म्ह किसान मरण लागरे!
नेता,धर्मगुरु,कोरपोरेट घराने, लूट्टण खात्यर उसकै पाच्छै भागरे!
कदे बी आकै हकीकत देख ले,तनैं साच्चा ज्ञान खरा द्यूंगा!! 2
हिंदी अर हरियाणवी की जगहां पै,अंग्रेजी का लट्ठ घूम्मण लागर् या!
स्कूल कालज विश्वविद्यालय देख ले, हर कोये गुलामी नैं चूम्मण लागर् या!
किसै बी दफ्तर म्ह आज्या,अंग्रेजी का लहरा सुणा द्यूंगा!! 3
अन्याय के विरोध म्हं लडनियां,धरणे होरे किसान मजदूर के!
उस अन्नदाता नैं देशद्रोही कहते,स्यर खूनमखून्नां मजबूर के!
अंधभक्ति नैं छोडकै आज्या,त्यरे रुम रुम नैं थर्रा द्यूंगा!! 4
सनातन भारतीय ज्ञान ध्यान की,माट्टी पलीत घणी होरी सै!
छोटी ,बड्डी ,पहलवान सुण ले, नेतां तैं दुखी आडै हरेक छोरी सै!
जंतर मंतर चाए चंडीगढ़ आज्या,रोती ब्यलखती छोरियां के ब्यान सुणा द्यूंगा!! 5.
छोटी सरकार सरपंचां की,आबरू माट्टी म्हं म्यलण लाग री!
धन,दौलत अर म्हनत सारी,नेताओं नैं सारी खा ग्यरी!
आंक्ख्यां पै चढी जै पट्टी तारै,सबूतां का झोला भरा द्यूंगा!! 6
बेरोजगारां की आडै फौज देख ले,सारे कै कोहराम माचर् या!
थोड़ी बी बुद्धि जिसकै बचरी,वोए या सच्चाई बाचर् या!
अंधभक्त वेद की बी ना मान्नै,जै चाहवै साफ
द्यमाक करा त्यरा द्यूंगा!!7
कितै बी खुशहाली ना दीखती,सब कोए परेशान होर् या सै!
फार्म भर दिया टैस्ट पाड दिया,छोरे छोरियां का सब्र खोर् या सै!
फेर बी बडाई के गीत ज गावै,बंदबुद्धि नैं जरूर सहरा द्यूंगा!! 8
आचार्य शीलक राम

विकास नहीं यो विनाश सै...

 विकास नहीं यो विनाश सै...
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दुख अ दुख आडै भरे जगत म्हं,
भोगे  ब्यना  सरै कोन्यां!
ब्यना पहुंच अर ब्यना जुगाड़ के,
असंभव सै उसका सफल होना!! 1
झूठे नारे अर झूठे आदर्श सैं, 

जनता नैं बेवकूफ बणावण लागरे!
म्हनत करणियां नैं फल ना म्यलता,
लूटेर् यां के आडै खूब भाग जागरे!! 2

लूटखसोट का फल म्यल्लै आडै,
पुरुषार्थ करणियां भूखे मरैं सैं!
भगोड्यां  नैं  जो खडे खोद्दे सैं,
किसान  मजदूर उननैं भरैं  सैं!! 3

जिसका लट्ठ आडै उसकी म्हस सै,
ईमानदारां की कती माट्टी प्यटरी !
बेईमान्ने  म्हं  जो  कती  डूबरे,
उनकी ज्यंदगी मजे तैं क्यटरी!! 4

आदर्श अर नार् यां तैं पेट ना भरता,
जमीनी विकास कुछ होणा चाईए!
नेतां का ईसा फंडा होग्या सै,
सबनैं भूखा मारकै खुद मजे तैं खाईए!! 5

अन्याय विरुद्ध जै आवाज उठाई,
कच्छा धोती जेल म्हं सुखैंगे!
जूल्मां नैं ब्यस सहन करे जा,
ये सब म्यलकै देश नैं न्यूएं लूटैंगे!! 6
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आचार्य शीलक राम

तुर्की व सीरिया में भुकम्प

          तुर्की व सीरिया में भुकम्प से मरे हुए लोगों पर तो जुमलेश्वर गप्पू महाराज ने सांत्वना संदेश भेज दिया है लेकिन अपने ही देश में 700 किसानों की मौत पर एक शब्द तक बोलने का दयाभाव नहीं दिखलाया... यह कैसा राष्ट्रवाद है जिसमें किसान मजदूर के सामुहिक नरसंहार पर भी नेता लोग मौन धारण करके अपने अमीर घराना मित्रों के चरणों में लोटपोट रहते हैं?
         इसके साथ साथ तालिबान को भी 200 करोड़ की आर्थिक मदद भेज दी है तभी तो तालिबान ने भारतीय बजट तक की प्रशंसा कर डाली... अपने देश के लोगों को देने के लिए तनख्वाह व पैंशन के रुपये नहीं लेकिन आतंकवादी तालिबान को भारी भरकम मदद?.... पंडितों को भला बुरा कहकर  दिन रात सनातन को गालियाँ देने वाले नकली मूलनिवासियों को खुश करने वाले लोग हिंदू हितकारी कैसे हो सकते हैं?इन्होंने
          रही सही कमी भारत के रक्तपीऊ लूटेरे व भ्रष्टाचारी अपने समीपियों की सुरक्षा दिवार बनकर पूरी कर दी है... पूंजीवाद, लूटवाद,शोषणवाद, भ्रष्टाचरणवाद,अंग्रेजीवाद, सैमेटिकवाद की पराकाष्ठा देखने को मिल रही है...!
   
-आचार्य शीलक राम

जन्म लिया तो मरना भी होगा....

 जन्म लिया तो मरना भी होगा.....
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जन्म हुआ तो मरना होगा,
यह  नियम कतई अटल है!
कोई तो आज  चला   गया ,
किसी  को जाना  कल है!!

पंचभूत  मिले पंचभूत में,
आत्म -पंछी निकल गया!
कोई चलता बना आज ही,

कोई कोई सुनो कल गया!!

सबको एक दिन जाना है,
दार्शनिक,विचारक महान!
कोई बचा न क्रूर काल से,
इसे स्मरण रखना नादान!!

कोई राजा बचा न मौत से,
बचा नहीं कोई संत,फकीर!
सबको ही काल ने छीना है,
ज्ञानी, ध्यानी, क्षत्रिय वीर!!

व्यर्थ का घमंड मत करना,
सबको काल ग्रास बनना है!
जीते जी होश को जानो,
न अहम् अकड तनना है!!

यह जीवन बुलबुला पानी,
जन्मा और बस बिगड़ गया!
प्राणों ने  साथ  छोड दिया,
पंचभूत  संघात  सड गया!!

तर्क- वितर्क व वाद-विवाद,
विश्लेषण  और संश्लेषण!
आलोचना  संग   समीक्षा,
शोध, अन्वीक्षा, अन्वेषण!!
ये सभी ही छूट गए पीछे,
संग में जाएगी पुण्य-पूंजी!
स्व दर्शन का पुष्प साथ में,
सनातन दर्शनशास्त्र कूंजी!!

फिलासफी .....दर्शनशास्त्र,
इनसे पार सत्ता "दर्शन" की!
दर्शन  न हुए  आत्मतत्व के,
व्यर्थ शब्द चर्चा कृष्न की!!

जीते जी ही आत्म-साधना,
स्व से स्व का आत्म -ज्ञान!
परमपिता प्रभु की अनुभूति,
अस्तित्व का  यही सम्मान!!

इस जन्म की हिम्मत सुनो,
साथ निभाएगी परलोक में!

 श्रद्धांजलि  महान  आत्मा,
प्रयाण  कृष्ण -गोलोक में!!

फिर से वो जन्में धरा पर,
परमपिता से यही अर्जी है!
दर्शनशास्त्र  सेवा फिर से,
बाकी भगवान श्री मर्जी है!!
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आचार्य शीलक राम
दर्शन- विभाग

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय
कुरुक्षेत्र (हरियाणा)

आगे आगे बढते जाओ...

 आगे आगे बढते जाओ...
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हम वह लड़ाई लडते हैं शोषण  के जो विरूद्ध!
भ्रष्टाचारी भडक उठते हैं
इस जान के लेवा युद्ध!!

अधिकार को क्यों छोडें
क्यों  इससे पीछे हटना!
सत्य साथ हरेक कदम
इसी पथ पर हमें डटना!!

असुर सोच के अत्याचारी
इनसे  हम  क्यों  डरेंगे!
हम तो पहले सुधरे हुए हैं
अब  तो  वही  सुधरेंगे!!

गरीब व्यक्ति ही क्यों झुके
शोषक कभी न झुकता!
लडना ही एकमात्र पथ है
आए  शोषक लुढकता!!

केवल गरीब को उपदेश हैं
भ्रष्टाचारियों को खुली छूट!
गरीब यदि लडने को तत्पर
पीने नहीं पडें अपमान घूंट!!

अधिकार को नहीं छोडना
कर्तव्य को जरूर निभाना!
जीवन सफल हो जाएगा
पडेगा न  कभी पछताना!!

अमीरों के झांसे न फंसना
पुरुषार्थ पर करो विश्वास!
इनके छल बल समझ लो
रहेगा  जीवन में प्रकाश!!

झुको मत  संघर्ष जरुरी
यदि तुम्हें आगे बढना है!
लूटेरों के चंगुल से बचकर
सफलता सीढी चढना है!!

हर कदम पर अन्याय है
जीवन एक सतत् संघर्ष !
हिम्मत का ही राम हिमाती
कभी नहीं होए अपकर्ष!!

लडो लडाई हरेक कदम
दब्बू कायर नही बनना है!
 परिणाम मिले कोई भी
यह पथ अवश्य चुनना है!!
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आचार्य शीलक राम

महर्षि दयानंद ने यह तो नहीं सोचा था

                                                                महर्षि दयानंद ने यह तो नहीं सोचा था.....
             आर्यसमाज द्वारा महर्षि दयानंद सरस्वती का 200 वां जन्मदिवस मनाया जा रहा है... महर्षि जी का जन्म  1823 ई. में हुआ था तथा बहुत बड़ी विडम्बना है कि सनातन धर्म में आई हुई कुरीतियों को दूर करते हुए 1884 ई. को स्वयं सनातन धर्मियों ने ही उनको विष देकर मार डाला था... आज अधिकांश आर्यसमाजी भी उसी अंधभक्त भीड में सम्मिलित हो गये हैं जिस भीड़ के अगुवाओं ने महर्षि जी के प्राण लिए थे... आज अधिकांश आर्यसमाजी भारत को विश्वशक्ति और विश्वगुरु बनाने से रोकने वाली शक्तियों यानि पौराणिक पाखंडियों, मूर्तिपूजकों, मूर्तियों में प्राण प्रतिष्ठा करने वालों, आकाश से भभूत निकालकर सभी समस्याओं का हल करने वालों, फलित ज्योतिषियों, गंडा -ताबीज- माला -कंठी- रुद्राक्ष-रामनाम चदरियाधारियों, तांत्रिकों, मांत्रिकों, झाडफूंकियों, शक्तिपातियों, आशीर्वादियों, बागेश्वरवरियों, बालाजियों, योग को योगा बनाने वाले व्यापारी शरीर तोडमरोडवादियों,भविष्यवक्ताओं, राजाओं के राजा अन्नदाता किसान विरोधियों, झंडा व डंडा पूजकों के साथ मिलकर "आर्य - स्वदेशी - विश्वगुरु भारत- विश्वशक्ति भारत- आत्मनिर्भर भारत - चक्रवर्ती भारत- आर्य भाषा- संस्कृत भाषा " के सनातन वैदिक जीवन मूल्यों के विरोध में कार्य करते हुए दिखाई दे रहे हैं.... उत्तर भारत में अनेक पाखंडी बाबाओं, नकली भगवानों, मनघड़त तत्वदर्शियों,स्वघोषित जगत्गुरुओं, दिग्भ्रमित कथाकारों,योगभ्रष्ट योगाचार्यो,भारत की हरेक समस्या का हल करने वाले पौराणिक चमत्कारी संतों, अंग्रेजी शिक्षा संस्थानों, एंग्लो वैदिक शिक्षा संस्थानों, जागरणों, शाखाओं आदि की बाढ आ जाना आर्यसमाज व आर्यसमाजियों की निष्क्रियता व विफलता का परिचायक है... लग रहा है कि अब तो आर्यसमाज केवल जलसे, जुलूस, साप्ताहिक सत्संग, दैहिक तोडमरोड, पौराणिकों के प्रशस्ति गान, शुष्क कुतर्क, प्रधानी, जमीन व समाजों के विवाद में कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने आदि तक सीमित होकर रह गया है...आज आर्यसमाज भी अधिकांशतः अद्वैतवादियों, द्वैतवादियों,विशिष्टाद्वैतवादियों, शुद्धाद्वैतवादियों, कबीर पंथियों, दादूपंथियों, नककटावादियों की तरह का एक संप्रदाय बनकर रह गया है... आज आर्यसमाजी महर्षि के बताए अनुसार न तो विवाह करते हैं, न शिक्षा ग्रहण करते हैं, न संस्कृत व हिंदी पढते पढाते हैं, न वेदादि शास्त्रों का अध्ययन अध्यापन करते हैं, न वेशभूषा पहनते हैं, न संध्या हवन करते हैं, न धर्म- अध्यात्म -विज्ञान को बढावा देने के लिए काम कर रहे हैं... महर्षि के बताए अनुसार यदि कोई अभिनव, सृजनात्मक व क्रांतिकारी कार्य करने का प्रयास करता भी है तो उसे या तो अपमानित किया जाता है या बाहर फेंक दिया जाता है... महर्षि के नाम से प्रचलित संपत्ति, जमीन- जायदाद, पुस्तकों, संस्थानों, मठों, भवनों आदि का घोर दुरूपयोग किया जा रहा है...  सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा की दयनीय दुर्गति सबके सामने है... वेद, उपनिषद्, दर्शनशास्त्र, चरक, सुश्रुत, गणित, गणित ज्योतिष आदि क्षेत्रों में महर्षि के सुझाए अनुसार आध्यात्मिक, आधिदैविक, आधिभौतिक व्याख्याएं बिलकुल नहीं की गई हैं...यदि किसी ने इस पर कुछ काम करने की कोशिश की तो उसे अपमानित करके बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.... पिछले 20-30 वर्ष के दौरान हरियाणा में ही आर्यसमाज व आर्यसमाजियों की निष्क्रियता के कारण कई ऐसे बलात्कारी व अपराधी संत पैदा हो गये जो आज जेल में बंद हैं... सजा हो जाने के बाद भी इन पाखंडियों के करोड़ों अनुयायी आए दिन सडकों व चौक चौराहों पर हुडद़ंगबाजी करते हुए देखे जा सकते हैं... कुछ दशक व्यतीत हो जाने के पश्चात हरेक महापुरुष द्वारा स्थापित संस्थान की जो दयनीय दुर्गति व दुरुपयोग होता देखा जाता रहा है वही आज आर्यसमाज के साथ हो रहा है... किसी क्रांतिकारी संगठन का इस तरह से पतन व अधोगति को प्राप्त होना हम सब भारतीयों के लिए चिंता का विषय है!

                                                                                                                                        आचार्य शीलक राम
                                                                                                                                        वैदिक योगशाला