Saturday, April 2, 2016

सेक्युलरिज्म के नाम पर………..


दुनिया के प्रत्येक देश में वहां के राजनेता अपने देश के लोगों, उनकी जीवनशैली, उनकी सभ्यता संस्कृति, उनके जीवनमूल्यों, उनके दर्शनशास्त्र, उनकी भाषा, उनके सुख-दुःख एवं उनके अपने राष्ट्र से भक्ति को महत्त्व अवश्य देते हैं।  लेकिनफूट डालो राज करोकी अनीति इस तरह से हमारे नेताओं पर चढ़ गई है कि उन्हें अपने भारतवर्ष से विश्वासघात करने में तो कोई शर्म आती है तथा ही इनमें अपने राष्ट्र के प्रति कोई प्रेम बचा है लंबे समय तक अपने राष्ट्र के साथ गद्दारी एवं विश्वासघात करने का रिकार्ड भारतीय राजनेताओं एवं उच्च-शिक्षितों के नाम पर दर्ज होना चाहिए यह महाव्याधि भारत को सातवीं सदी में ही लग गई थी इस राजरोग के लक्षण परिवर्तित होते रहे हैं परन्तु यह मूल रूप से विद्यमान रही है मुहम्मद बिम कासिम, गजनवी, गौरी, चंगेज, नादिर, ऐबक, अब्दाली, बाबर, अकबर, जहांगीर, शाहजहां, ईस्ट इंडिया कंपनी तथा फिर ब्रिटेन की महारानी - इन सभी के काल में यह महारोग भारत में रहा है। यहां इसका यह अर्थ पाठक कतई समझ लें कि भारत में राष्ट्रभक्ति, स्वदेशभक्ति, स्वदेशीभावना, अपने राष्ट्र पर मर-मिटने की आग या अपने जीवनमूल्यों के पालन-पोषण की लगन इस दौरान बची ही नहीं थी। ऐसा सोचना कतई झूठ होगा गद्दारी विश्वासघात के साथ-साथ भारतवर्ष में अपने राष्ट्र पर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने की आग सदैव से रही है वीरता की गाथाएं भारत मंे सदैव से रही हैं तथा ये वीरता की गाथाएं अन्य देशों में मौजुद वीरता की गाथाओं से इक्कीस ही रही हैं भारत अन्य देशों की वीरता में फर्क यह है कि यहां वीरता स्वदेश की रक्षा या असहायों की सुरक्षा हेतु दिखलाई गई है जबकि पश्चिम के देशों में तथा इस्लामी शासकों ने दूसरे देशों पर बलात् अधिकार करने, आतंक फैलाने, लूटमार करने, बलात्कार करने तथा उग्रवाद को फैलाने हेतु अपनी वीरता का प्रदर्शन किया है भारत ने सदैव दैवीय शक्तियों का प्रतिनिधित्व किया है बात सेक्युलरिज्म की चल रही है तो इस शब्द की आड़ लेकर बहुसंख्यक हिंदुओं को जिस तरह प्रताडि़त किया जा रहा है उसकी मिशाल विश्व इतिहास में मिलना असंभव है एक दल विशेष ने सत्ता में बने रहने का इस सेक्युलरज्मि को साधन बना रखा है देश की मूलभूत समस्याओं से मुंह फेरकर शब्दों की लफ्फाजी में उलझाए रहने के षड्यंत्र नित रचे जाते रहे हैं जिस तरह इस्लामी मुगल बादशाह सत्ता में बने रहने हेतु नित नए-नए षड्यंत्र रचते रहते थे उसी तरह कुछ दल भारत में 1947 ई॰ से ही भारत की छाती को छलनी कर रहे हैं कांग्रेसवाद, साम्यवाद, समाजवाद, दलितवाद, स्त्रीवाद, सेक्युलरवाद आदि को लेकर भारत के अधिकांश राजनीतिक दल किस तरह से विनाश की नौटंकी खेल रहे हैं तथा भारत हर दिन और भी गरीब, असहाय असुरक्षित होता जा रहा है - यह सब किसी से छिपा नहीं है व्यर्थ के राष्ट्रधाती मुद्दे उछालकर तथा लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करके चुनाव जीतना एक बात है जबकि अपने राष्ट्र का चहुंमुखी विकास करते हुए आगे ले जाना दूसरी बात है कल ही राजौरी में दस हिन्दुओं की गला रेतकर हत्या कर दी गई लेकिन यह खबर कुछ ही अखबारों के कोने में 5-7 पंक्तियों में छपी है यदि मुसलमान या ईसाईयों के साथ ऐसा होता तो सारे समाचार-पत्रों में मोटे शीर्षकों से यह खबर छपती, सब दलों के नेता सहानुभूति देने वहां पुहंच जाते तथा टी॰वी॰ चैनल कई दिन खूब हो-हल्ला करते पिछले दिनों मुजफ्फरनगर में दंगे हुए पूरी तरह से पक्ष लिया गया दोषी मुस्लिम युवकों का तथा निर्दोष हिन्दुओं को जेल में ठूंस दिया गया नेता लोग हालचाल पूछने भी पहुंचे लेकिन मुसलमानों से मिलकर ही वापिस लौट आए, हिन्दुओं से नहीं मिले इस तरह का भेदभाव करने वाले वे ही हैं जो आए दिन सेक्युलरिज्म का ढोल पीटते हैं अरे दंगों में हिंदू मुसलमान दोनों मरे हैं, संपति भी दोंनों की ही नष्ट हुई है तथा घर-बार भी दोनों का ही छूटा है, फिर ये भेदभाव क्यों? यह है भारत का सेक्युलरिज्म। इस्लाम और ईसाईयत को मानने वाला हमारा भाई यदि गुनाहगार है तो भी वह निर्दोष है तथा हिंदू यदि निर्दोष है तो भी वह दोषी है - यह है भारत का सेक्युलरिज्म इस नीच राष्ट्रधाती विचारधारा ने भारत को बर्बाद करके रख दिया है कुछ दल तो ऐसे हैं कि जिन की आधारशिला एवं जिनका अस्तित्व ही इस राष्ट्रधाती सोच पर टिका है राष्ट्र के वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाकर बनावटी मुद्दों को उछालकर वोट मांगना तथा इसी से सत्ता में कायम रहना इन दलों का चरित्र रहा है साढ़े छह दशक व्यतीत होने के बावजूद भी भारत की दुर्दशा इसके पिछड़ेपन का कारण सेक्युलरिज्म चुनाव जीतने का एक मंत्र यानि सेक्युलरिज्म। सत्ता में बने रहने का एक ही अचूक सूत्र यानि सेक्युलरिज्म। इस सबके बावजूद भी आश्चर्य देखिए कि जिनके लिए सेक्युलरिज्म की डुगडुगी बजाई जाती है वे ही भारत के सर्वाधिक पिछड़े हुए, सर्वाधिक अविकसित, सर्वाधिक निरक्षर एवं सर्वाधिक है|
     राजनीति में जो कबाड़ा इस एक शब्दसेक्युलरिज्मने किया है वह अन्य किसी ने नहीं इस एक शब्द का गलत प्रयोग शुरू से ही हो रहा है इस धोखाधड़ी वाली पंथनिरपेक्षता का अर्थ केवलमात्र अल्पसंख्यकवाद है अल्पसंख्यकवाद का अर्थ है मुस्लिम सर्वोपरिता इस तरह से पंथनिरपेक्षता अब सांप्रदायिक पाखंड के सिवाय कुछ भी नहीं है अब तो मुसलमान कुछ विद्वानों को भी राजनीतिक दलों का यह कुकृत्य समझ में आने लगा है तथा वे कुछ दलों द्वारा मुसलमानों को किसी तरह से डरा-धमकाकर वोट मांग मांगने की गलाकाट प्रतिस्पर्धा का विरोध भी करने लगे हैं भारत की तरक्की तथा इसके उज्ज्वल भविष्य हेतु यह आवश्यक है कि भारतीय मुसलमान दुनिया के मुसलमानों की संकीर्ण सोच से ऊपर उठकर राजनेताओं की लोकलुभावनी एवं पाखंडपूर्ण घोषणाओं के जाल में फंसे इसी में भारत की तथा इनकी स्वयं की तरक्की का रहस्य छिपा है मुसलमानों को यह समझ जानी चाहिए कि कुछ दल उनको सिर्फ वोट बैंक के रूप में प्रयोग करते हैं, उनके विकास या उनकी शिक्षा से उन्हें कोई लेना-देना नहीं है। सजग हों ये तथा अपना शोषण करवाएं
प्रसिद्ध विद्वान श्री हृदयनारायण दीक्षित के अनुसार शब्दकोष में सेक्युलर का अर्थ भौतिक या प्रत्यक्ष है ईश्वर प्रत्यक्ष नहीं, आस्था है आस्था के प्रश्न सेक्युलर परिधि में नहीं आते, लेकिन यहां सेक्युलर का मतलब विशेष आस्था वाले मुस्लिम समाज को विशेष राजनीतिक समुह या विशेष लाभार्थी समुह के रूप में राजकीय मान्यता देने से है सेक्युलर राष्ट्र-राज्य राजकाज संचालन में नागरिक का पंथ या मजहब नहीं देखते संविधान ऐसी अनुमति नहीं देता राजकोष संग्रह या कराधान में आस्था नहीं देखी जाती किसी विशेष संप्रदाय पर राजकोष व्यय करने का अधिकार नहीं है लेकिन भारत में हजयात्रा पर सब्सिडी है मुस्लिम बहुल गावों के लिए विशेष बजट प्रावधान है सरकारें सोचती हैं कि मुस्लिमों को आतंकवादी मुकदमों में फंसाया जाए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय संपदा पर मुसलमानों का पहला अधिकार बता चुके हैं बिहार के एक दलित नेता चुनाव में ओसामा विन लादेन का प्रतीक लेकर निकले थे पश्चिम बंगाल ने मुस्लिम धर्मगुरुओं के लिए मानदेय उत्तर प्रदेश ने योजनाओं में मुस्लिम समुदाय के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण तथा आतंकी आरोपियों के भी मुकदमा वापिसी के प्रस्ताव किए सरकार ने मृतकों में सांप्रदायिक भेदभाव किया कब्रिस्तान की बाउंड्री पर 300 करोड़ का प्रावधान हुआ इसी राजनीति का नाम है सेक्युलरवाद। इस तरह की भेदभावपूर्ण नीतियों से मुसलमानों का जब साढ़े छह दशक में भला नहीं हुआ तो अब क्या होगा? और इन सेक्युलरवादियों से अधिक उलझा जाए तो ऐसा-वैसा करके जेल में ठूंसने या बदनाम करने का अधिकार इनके पास है इसका दुरुपयोग इन्होंने खूब किया है तथा अब भी कर रहे हैं आर॰ एस॰ एस॰, स्वामी रामदेव, अन्ना हजारे, आसाराम बापू, स्वामी असीमानंद, नरेन्द्र मोदी आदि इसके उदाहरण हैं राजा ये हैं, संविधान इनका है, सी॰ बी॰ बाई॰ इनकी है, कानून इनके हैं - ये कुछ भी करें इनके रास्ते में जो भी रोड़ा बनेगा उसको ये सबक सिखाकर ही रहते हैं आखिर देश की सत्ता पर काबिज जो रहना है खात, बही, जो हम कहते हैं उपरिवत् सही प्रचार का एक दुष्ट ढंग इनका केवलमात्र यही है कि एक झूठ को सौ बार दोहराओ, तो वह सच लगने लगता है हिटलर ने जर्मनी में यहुदियों को मारने-काटने हेतु यही तो किया था भलाई इनकी लेकिन बुराई किन्हीं अन्यों की इन्हीं सत्ता के लुटारों ने तो आजाद हिंद फौज के शुरवीरों पर देशद्रोह के मुकदमें की पैरवी करके झूठी वाहवाही लूटी थी सुभाषचंद्र बोस उनकी आजादी हिंद फौज से इतना ही लगाव था तो सुभाष चन्द्र बोस के जीवित रहते क्यों सारे कांग्रेसी उनके जानी दुश्मन बने रहे तथा उन्हें तोजो का कुत्ता तक कहकर पुकारा था? इन्होंने ही काकौरी षड्यंत्र केस से बरी हुए वीरों के सम्मान में आयोजित होने वाले सम्मान समारोह को कांग्रेस की अध्यक्षता में आयोजित होने से मना कर दिया था यह राष्ट्र चाहे आज नष्ट हो जाए परंतु ऊपर-ऊपर से हिंसा के समर्थक मत दिखो, सत्ता दूसरों के पास मत जाने दो, येन-केन-प्रकारेण स्वयं ही सत्ता पर कब्जा किए रहो यह है सेक्युलरवाद की कुल कहानी कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष तथा उनके भावी प्रधानमंत्री पद के दावेदार राहुल गांधी कह रहे हैं कि मुजफ्फरनगर की हिंसा में 15-20 मुस्लिम युवा पाकिस्तान खुफिया एजेंसी आई॰ एस॰ आई॰ से जुड़े हैं यह जानकारी उनको एक भारतीय खुफिया अधिकारी से मिली है यदि इसी तरह की कोई बात भाजपा का कोई व्यक्ति या आर॰ एस॰ एस॰ का कोई कार्यकत्र्ता कहता तो आसमान सिर पर उठा लिया जाता और गिरफ्तारी भी हो जाती यह है सेक्युलरवाद का घिनौना रूप मुजफ्फरनगर हिंसा में भड़काव भाषण दिए सभी ने लेकिन गिरफ्तारी हुई केवल भाजपा के विधायकों की। यह है सेक्युलरवाद की टेढ़ी चाल मोदी की पटना रैली में बम विस्फोट हुए, तुरंत कांग्रेस अन्य दल आर॰ एस॰ एस॰ पर इन विस्फोटों को करवाने का आरोप लगाने लगे एक दिन बाद ही आई॰ एम॰ आतंकवादी संगठन के कार्यकत्र्ता इसमें संलिप्त मिले यह है भारत का सेक्युलरवाद इस तरह यह राष्ट्र कब तक चलेगा? मुगलिया अंग्रेजी चाल का यह शासन भारत को कहां लेकर चला आया है, इसकी हकीकत सबके सामने है जिनके लिए यह सब ड्रामा किया जा रहा है वे आज भी गरीब, दलित, असहाय, पिछड़े हुए एवं देश की मुख्यधारा से कटे हुए हैं कब इनकी अक्ल में यह बात घुसेगी कि राष्ट्र के संपूर्ण विकास से ही कोई हल हो सकता है जाति, पंथ, संप्रदाय आदि के आधार पर बनी भेदभावपूर्ण नीतियां देश को विनाश के रास्ते पर ही ले जाएंगी।
सेक्युलरवाद भारतीय विचार नहीं है यह मूलतः भारतीय है ही नहीं यह एक विदेशी विचार है विदेशियों ने इन शब्द को बनाया था और हमारे स्वार्थी नेताओं ने इसे अपना लिया इस शब्द का जन्म चर्च वहां के राजाओं के परस्पर संघर्ष के फलस्वरूप हुआ सन् 1870 में पोप के रोम पर इटली का अधिकार हो गया इटली की संसद ने तब लाॅ आॅफ पेपर गांरटी पारित किया पोप को उनका निवास पास के क्षेत्र वेटिकन देकर सर्वोच्च शाासक बनाया गया बाकी का रोम पोप के नियंत्रण से अलग हो गया शासन के कार्यों में पोप, पादरी आदि का हस्तक्षेप रोकने का नियम या कानून ही सेक्युलरवाद है परंतु हमारे भारत में इसका उल्टा हो रहा है यहां पर तो आस्था को आधार बनाकर अपने खजाने लुटाना तथा शासन के कार्यों को भी मजहबी आस्था से जोड़ देना सेक्युलरवाद है भारत में हिन्दुओं को अपमानित करना अल्पसंख्यक मुसलमान या ईसाई भाईयों को किसी भी तरह खुश रखना सेक्युलरवाद है हम अपनी कुर्बानी देकर या अपनी आस्थाओं से खिलवाड़ करके या अन्यों द्वारा होता हुआ देखकर भी अपने दूसरे मजहब के भाईयों से प्यार-प्रेम करते रहें, गांधी ने यही तो सीख दी है हमें आजकल भारत की राजनीति में जिस एक व्यक्ति की तूती बोलती है वह गांधी ही तो हैं गांधी को सभी दल प्रामाणिक मानते हैं भ्रमित होने की भी कोई सीमा होती है लेकिन भारत के नेताओं ने सारी सीमाओं को तोड़ दिया है
सेक्युलरवाद के तहत मुसलमानों के उत्पीड़न की बात बार-बार की जाती है लेकिन इतिहास में आपको कहीं कोई भी ऐसा उदाहरण नहीं मिलेगा कि जिससे यह मालूम हो उस वर्ष के दौरान हिन्दुओं के नारा मुसलमानों का उत्पीड़न, उनको सताने, सामूहिक नरसंहार हुए हों हां, आपको हिंदुओं को सताने, उनको बर्बाद करने, उनकी आस्थाओं को चोट पहुंचाने, उनके धर्म स्थलों को तोड़ने, उनकी जवान लड़कियों के अपहरण करने, उनकी औरतों से बलात्कार करने, उनका मतांतरण करने, उनके विश्वविद्यालयों को नष्ट करने, उनके ध्यान के मंदिरों को नष्ट करने, उनके किलों को तोड़कर या रूप बदलकर इस्लामी रूप देने, उनके सर्वाधिक प्राचीन आयुर्वेद को नष्ट करने आदि आदि सभी के हजारों उदाहरण मिल जाएंगे फिर भी कुछ राजनीतिक दल मुसलमान भाईयों को डराते रहते हैं तथा उनके वोट लेकर सत्ता में आते रहते हैं इसमें 50 प्रतिशत दोष मुसलमान भाईयों का भी है, वे इन दुष्ट स्वार्थी नेताओं के दुष्चक्र में फंसते ही क्यों हैं? मुसलमान भाई यदि इन शैतान नेताओं के चक्कर में फंसते तो आज ये भी अपने बहुसंख्यक हिंदू भाइयों की तरह समृद्ध विकसित होते सेक्युलरवाद की विनाशलीला का शिकार सभी ही हुए हैं
हमारा भारतराष्ट्र कई तरह से असहाय सा है नेता धर्मगुरु दोनों ही विनाश के रास्ते पर हैं। कोई धर्मगुरु यदि कुछ राष्ट्र की बात करता भी है तो उसे सरकारों की तरह से प्रताडि़त किया जाता है। धर्म का राजनीति में प्रयोग ये अपने गणित से करेंगे लेकिन अन्यों को तुरंत सांप्रदायिक की उपाधि देने से नहीं चुकेंगे यह है यहां का सेक्युलरवाद या लोकतंत्र के नाम पर तानाशाही का खुला खेल अल्पसंख्यकों को राष्ट्र की मुख्यधारा से अलग करने का प्रथम बड़ा षड्यंत्र अंग्रेजों ने रचा था उसके बाद तो राष्ट्रधाती सफलता मिलते देख देश की सबसे बड़ी शासक पार्टी पीछे नहीं रही तथा अल्पसंख्यकों को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया इस समय तो कई दल यह कुकृत्य करने में लगे हैं जो भी इनका विरोध करे, उपरिवत्ं सांप्रदायिक, यह है भारत के नेताओं की सेक्युलरवाद की व्याख्या वैसे हमारे संविधान में यह शब्द पहले था ही नहीं अपितु इसे तो इंदिरा गांधी ने पहली बार जुड़वाया था। इसका अनुवाद किया गया पंथनिरपेक्ष पंथ धर्म तथा रिलीजन धर्म को ये चतुर पर्यायवाची मानते हैं इनकी यह मान्यता सनातन भारतीय आर्य वैदिक हिंदू संस्कृति पर कुठाराघात है इन्हें इसकी कोई चिंता नहीं है। चिंता होगी भी क्यों - इन्हें तो लुटने के लिए पूरा देश जो मिला हुआ है
इस देश के बुद्धू नेता तो यहां की गरीबी को भी मजहबी मानते हैं यानि कि गरीबी यदि अल्पसंख्यकों में है तो वह गरीबी है तथा भारत के लिए एक समस्या है लेकिन गरीबी यदि बहुसंख्यकों में है तो वह गरीबी नहीं है तथा ही कोई समस्या है इसीलिए तो भारत सरकार नेसच्चर समितिका निर्माण किया ताकि मुसलमानों की गरीबी को जानने उसका समाधान करने का प्रयास किया जा सके अरे मुर्खों! गरीबी पिछड़ापन तो राष्ट्रीय समस्या है, इसे मजहबी रंग क्यों दे रहे हो? कितना अच्छा हो कि मुसलमान भाई ही इस पाखंड को नकार दें लेकिन अपनी दुकान चमकाने वाले चंद मुस्लिम नेता ऐसा होने नहीं देंगे ये तथा हमारे नेता ही तो मुसलमानों को आगे नहीं जाने देना चाहते हैं केवल एक संप्रदाायविशेष में गरीबी बदहाली खोजकर आप अपनी राजनीति की रोटियां तो सेक सकते हैं परंतु राष्ट्र-निर्माण नहीं कर सकते तथा ही अल्पसंख्यकों की गरीबी दूर कर सकते हैं इसे हमारे नेता समझना नहीं चाहते - यह हैं हमारे यहां का सेक्युलरवाद दंगों में आरोपित एक संप्रदाय-विशेष के युवाओं की तलाश करो तथा उनकी भरपूर मदद करो ताकि वे शीघ्र रिहा हो सकें दंगाई मात्र दंगाई होते हैं, किसी संप्रदाय के आधार पर भेदभाव करना उस देश में उग्रवाद आतंकवाद की जड़ों को और भी गहरा करना है। हिंदू आतंकी आतंकी है परंतु मुसलमान आंतकी आतंकी नहीं है अपितु उसे तो मुसलमान होने के कारण ही गिरफ्तार किया गया है। यह है हमारे राष्ट्र के कर्णधारों की ओछी सोच का सेक्युलरवाद संसार के विभिन्न देशों में जो आतंकी पकड़े जाते हैं उनमें अधिकांश मुसलमान होते हैं - भारत, अमरीका, इंग्लैण्ड, रूस, चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, फिलीपींस, इंडोनेशिया तथा अफ्रीका महाद्वीप के देश - सभी में होने वाली आतंकी घटनाओं में मुसलमान यदि संलिप्त पाए जाते हैं तो उनको दोषी तो कहा ही जाएगा हिंदू किस देश में आंतकी के रूप में पकड़े गए हैं? आतंक, उपद्रव, हिंसा, मारामारी, लूटपाट में जब एक ही संप्रदायविशेष के व्यक्ति पकड़े जाते हैं तो उन्हें आतंकवादी तो कहा ही जाएगा इस पर यह प्रश्न उठाना बेमानी है कि अधिकांश आतंकवादी घटनाओं में एक संप्रदायविशेष के लोग ही क्यों जेलों में बंद हैं? लेकिन सेक्युलरवादी ऐसा कर रहे हैं आतंक दंगों की आग लगाने वाली विदेशी ताकतों के संकेतों पर काम कर रहे हैं उनके साथ मैत्री सहानुभूति कैसी? उनके साथ तो दुश्मनों जैसा व्यवहार होना चाहिए इसी जमीन पर पैदा हुए, यहीं पले-बढ़े, इसी का खाया-पीया और इसी के साथ गद्दारी और फिर भी इसी की पीठ में छुरा भौंकना किस रणनीति का हिस्सा है? सेक्युलरवादी हमारे नेता इस सबको गलत नहीं मानते देश का बेड़ा गर्क करने की पराकाष्ठा है यह मजहबी अल्पसंख्यकवाद को पुरस्कार तथा बहुसंख्यक हिन्दुओं का अपमान ही सेक्युलरवाद की सही परिभाषा है संविधान में कुछ भी लिखा हो लेकिन वोट प्राप्त करने हेतु संविधान को तोड़ दो राष्ट्रभक्ति, स्वदेशी, स्वर्धम स्वभाषा की यदि बात आए तो अंग्रेजी ठीक है क्योंकि यदि हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा वास्तव में बना दिया तो संविधान की मूल भावना को चोट पहुंच जाएगी तथा अल्पसंख्यक 1/2 प्रतिशत काले ग्रेज नाराज हो जाएंगे अब यदि यही सब चलता रहेगा तो दूसरे बहुसंख्यक कब तक चुप बैठे रहेंगे? वे इन सब दुष्टताओं का जवाब भी देंगे अत्याचार सहना भी अत्याचार ही है प्रतिशोध का सनातन भारतीय-दर्शनशास्त्र हमारे पास मौजुद है इस पाखंडी सेक्युलरवाद का सही जवाब सनातन भारतीय प्रतिशोध के दर्शनशास्त्र के पास है इस युग में स्वामी दयानंद, विवेकानंद, श्री अरविंद, सावरकर, सुभाष, चंद्रशेखर आजाद, तिलक एवं अनेक अन्जान राष्ट्रभक्त इसके पालक-पोषक हैं जड़ता मूच्र्छा का त्याग करके अपनी राष्ट्रभूमि से जुड़ो इसके सर्वांगीण विकास हेतु प्रयत्न करो। भौतिक प्रगति हेतु प्रयासरत रहो जीवनमूल्यों को अपने आचरण में उतरने दो सनातन संस्कृति को सहेजकर रखो। अध्यात्म की मदद से बाहरी भीतरी शांति को अनुभूत करो पहले किसी को कुछ मत कहो लेकिन यदि कोई आपकी अस्मिता, आपकी जन्मभूमि भारत, आपकी सनातन आर्य वैदिक हिंदू संस्कृति, आपके जीवनमूल्यों, आपके दर्शनशास्त्र पर चोट करता है तो उसे मुंहतोड़ जवाब दो समाप्त कर दो उसे मिटा दो उसके अस्तित्व को ताकि वह भविष्य में कभी ऐसा दुस्साहस करने का प्रयास करें इस राष्ट्रघाती, सनातन भारतीय संस्कृतिघाती एवं सनातन धर्मघाती सेक्युलरवाद का सामना इसी ढंग से हो सकता है
-आचार्य शीलक राम

No comments:

Post a Comment