पिछले 1300-1400 वर्षों के दौरान धर्मगुरुओं,गीताकारों,गीतामनिषियों तथा कृष्ण कथाकारों ने श्रीकृष्ण के बाल व किशोर रुप में जिस अश्लीलता,फूहडता,चरित्रहीनता,भगौडेपन,ओछेपन की कपोल-कल्पित कहानियों को लीला लीला कहकर उन पर थोप दिया है ,,, इससे श्रीकृष्ण का जीवन हंसी मखौल का विषय बनकर रह गया है,,, कहां हमें श्रीकृष्ण के जीवन से राष्ट्र रक्षक, संस्कृति रक्षक,धर्म रक्षक,चरित्र रक्षक तथा अन्याय अधर्म अव्यवस्था के विरुद्ध लड़ने की सीख लेनी थी और कहां हमने उन महापुरुष श्रीकृष्ण को हंसी मखौल का पात्र बना दिया है,,,,,,, श्रीकृष्ण द्वारा प्रदत्त गीतोपदेश भी इन मूढ धर्मगुरुओं,कथाकारों,गीता मर्मज्ञों व गीता मनीषी कहे जाने वालों की मूढ दृष्टि से बचा नहीं रह सका है,,,,,जागो भारतीयो जागो!!!
"क्रांतिकारी विचारक, लेखक, कवि, आलोचक, संपादक" हरियाणा की प्रसिद्ध दार्शनिक, साहित्यिक, धार्मिक, राष्ट्रवादी, हिन्दी के प्रचार-प्रसार को समर्पित संस्था आचार्य अकादमी चुलियाणा, रोहतक (हरियाणा) का संचालन तथा साथ-साथ कई शोध पत्रिकाओं का प्रकाशन। मेरी अब तक धर्म, दर्शन, सनातन संस्कृति पर पचास से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। आचार्य शीलक राम पता: आचार्य अकादमी चुलियाणा, रोहतक हरियाणा वैदिक योगशाला कुरुक्षेत्र, हरियाणा ईमेल : shilakram9@gmail.com
Tuesday, August 18, 2020
वह जिंदा है
बतला दो उनको कि वह जिंदा है।
उन्मुक्त गगन में उड़नेवाला परिंदा है।
खून के आंसू
हंसने की मत पूछो,पूछो रोने की।
राष्ट्रहित, संस्कृति हित व धर्म
राष्ट्र हित , संस्कृति हित व धर्म हित के लिए हमारे यहां हिंदुओं में निस्वार्थ भाव से लोगों के बीच में जाकर उन्हेंं भलि तरह से समझाने वाले कार्यकर्ता कितने हैं?,,, दो कौड़ी के नेताओं के आगे पीछे पूंछ हिलाकर हिंदू विरोध,हिंदी विरोध व हिंदुत्व विरोध में काम करने वाले धर्मगुरु, संत,मुनि,योगी,सुधारक,कथाकार हमारे यहां हजारों की संख्या में हैं,,,हिन्दू धर्मगुरु ,संत,मुनि,योगी,व सुधारक अपना कर्त्तव्य नहीं निभा रहे हैं,,, जनसामान्य को किसी भी दिशा में मोडा जा सकता है लेकिन कोई उन्हें ऐसा करने वाले तो हों,,, ईसाईयों व मुसलमानों में ऐसे कार्यकर्ता बहुतायत से हैं,,, हमारे यहां तो धर्मगुरु,सुधारक व संत लोग भी हिंदुओं का अधिकांश में नेताओं द्वारा शोषण करवाने पर लगे हैं या फिर स्वयं के मत,पंथ, विचार को आगे बढ़ाकर दौलत जोड़ने में लगे हुए हैं,,, हमें इसमें सुधार की अत्यधिक जरुरत है,,, हमारे यहां तो अब हालत ऐसी हो गई है कि हिंदू, हिंदी, हिंदुत्व की सही में आवाज उठाने वाला व्यक्ति इस समय सर्वाधिक प्रताड़ित, गालियां खाने वाला व उपेक्षित है,,, हिंदू ही हिंदू को हिंदू हित में आवाज उठाने से रोक रहे हैं,,,।
राष्ट्र हित , संस्कृति हित व धर्म हित के लिए हमारे यहां हिंदुओं में निस्वार्थ भाव से लोगों के बीच में जाकर उन्हेंं भलि तरह से समझाने वाले कार्यकर्ता कितने हैं?,,,
महर्षि पंतजलि का योग
महर्षि पतंजलि के योगशास्त्र को प्रयोगात्मक रुप से जनसामान्य को समझाने वाले व्यक्ति हमारे यहां उंगलियों पर गिनने योग्य हैं,,, अधिकांश योगाचार्य व योगाभ्यास करवाने वाले लोग या तो आसन प्राणायाम को ही योग कहकर प्रचारित कर रहे हैं या फिर योग के अन्य अंगों की मनमानी व बे-सिर-पैर की व्याख्याएं करके लोगों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं,,, इनके पास मूढ चेलों व नेताओं की ताकत इतनी है कि सीधे सीधे इन्हें चुनौती देना खतरे से खाली नहीं है,,,देख नहीं रहे कि भारत में कितने भगवान,संत,मुनि,कथाकार,स्वामी,योगी,मां,गीता मनीषी, गुरु, सदगुरु,तत्वज्ञानी आदि पैदा हो गये हैं,,,।
होश का दीपक
होश का दीपक