Thursday, September 19, 2024

निष्ठुर जिंदगी (cruel life)

जो बांटते जिंदगी में
हर दिन बस उजाले!
अंधेरा  ही अंधेरा है
उन्हें  कौन संभाले!!

देते जो दूसरों को
हर दिन बस फूल!
वही  लगे  रहते हैं
उन्हें मिलाने को धूल!!

रखते जो दूसरों का
पल-प्रतिपल ख्याल!
उन्हीं से पूछते बस
सवाल  ही सवाल!!

दूसरों के दुख-दर्द में
आंसू  जो बहाते हैं!
उनके हिस्से में यहाँ
दुख-दर्द ही आते हैं!!

खुद भूखे रहकर भी
जो भरते भूखों का पेट!
वही भूखे लोग यहाँ
उनको करते मटियामेट!!

कितनी निष्ठुर जिंदगी
यहाँ कितने निष्ठुर लोग!
दुख हर दिन आते बस
नहीं सुख का संजोग!!
.........
आचार्य शीलक राम
वैदिक योगशाला
कुरुक्षेत्र

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