Saturday, September 21, 2024

राष्ट्रीय साप्ताहिक प्रतियोगिता

 आचार्य अकादमी चुलियाणा, रोहतक (हरियाणा)
✍राष्ट्रीय साप्ताहिक प्रतियोगिता✍
आपको जानकर अतीव प्रसन्नता होगी कि भारत की प्रसिद्ध धर्म, दर्शन, योग व हिन्दी के प्रसार-प्रचार को समर्पित तथा अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिका प्रंमाण  अन्तर्राष्ट्रीय मुल्यांकित त्रैमासिक शोध पत्रिका  (ISSN:2249-2976),  चिन्तन अन्तर्राष्ट्रीय मुल्यांकित त्रैमासिक शोध पत्रिका (ISSN:2229-7227), हिन्दू अन्तर्राष्ट्रीय मुल्यांकित त्रैमासिक शोध पत्रिका (ISSN : 2348-0114), आर्य अन्तर्राष्ट्रीय मुल्यांकित त्रैमासिक शोध पत्रिका (ISSN: 2348 – 876x) व द्रष्टा अन्तर्राष्ट्रीय मुल्यांकित त्रैमासिक शोध पत्रिका (ISSN: 2277-2480)  को प्रकाशित करने वाली संस्था आचार्य अकादमी चुलियाणा, रोहतक (हरियाणा) के तत्वावधान में निःशुल्क राष्ट्रीय 36वें साप्ताहिक कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है ।
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विषय :   *'श्राद्ध'*
प्रतियोगिता की शर्तें:-
1. आपकी रचना देवनागरी लिपि में टंकित होनीं चाहिए।
2. दिए गए उपरोक्त विषय पर रचनाये स्वीकार की जाएंगी ।
3. रचना में किसी भी प्रकार के अश्लील, असामाजिक व राष्ट्र विरोधी शब्द नही होने चाहिए।
4. एक रचनाकार केवल एक ही रचना भेज सकता है।
5. रचना की उत्कृष्टता के आधार पर विजेताओं का चयन किया जाएगा।
6. चयन पैनल का निर्णय सर्वमान्य होगा।
7. रचना के नीचे रचनाकार की सामान्य जानकारियां जैसे- नाम, पता, सम्पर्क सूत्र, ई-मेल आदि अवश्य लिखी होनी चाहिए।
8. ग्रुप में किसी प्रकार का वाट्सएप व यूट्यूब लिंक ना पोस्ट करें l ऐसा करने पर उसे ग्रुप से बाहर कर दिया जाएगाl
9. रचना 29 सितंबर 2024 तक ग्रुप में भेज सकते हैं, उसके बाद किसी भी रचनाकार की रचना स्वीकार नही की जाएगी।
10. विजेताओं की घोषणा  ग्रुप में ही की जाएगी।
11. दस सर्वश्रेष्ठ कवियों को आचार्य अकादमी चुलियाणा, रोहतक (हरियाणा)  की ओर से प्रमाण-पत्र दिए जाएंगे॥
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पंजीकरण-शुल्क - निःशुल्क
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रचना भेजने के माध्यम:-
वाट्सएप ग्रुप :
https://chat.whatsapp.com/ILcr37glaFAFJX95PiuFhx
रचनाएं केवल हिन्दी कवि व कविताएं ग्रुप में ही स्वीकार की जाएंगी।
निवेदक :
आचार्य शीलक राम
अध्यक्ष आचार्य अकादमी चुलियाणा
रोहतक (हरियाणा)
वैदिक योग शाला
कुरूक्षेत्र (हरियाणा)

Thursday, September 19, 2024

निष्ठुर जिंदगी (cruel life)

जो बांटते जिंदगी में
हर दिन बस उजाले!
अंधेरा  ही अंधेरा है
उन्हें  कौन संभाले!!

देते जो दूसरों को
हर दिन बस फूल!
वही  लगे  रहते हैं
उन्हें मिलाने को धूल!!

रखते जो दूसरों का
पल-प्रतिपल ख्याल!
उन्हीं से पूछते बस
सवाल  ही सवाल!!

दूसरों के दुख-दर्द में
आंसू  जो बहाते हैं!
उनके हिस्से में यहाँ
दुख-दर्द ही आते हैं!!

खुद भूखे रहकर भी
जो भरते भूखों का पेट!
वही भूखे लोग यहाँ
उनको करते मटियामेट!!

कितनी निष्ठुर जिंदगी
यहाँ कितने निष्ठुर लोग!
दुख हर दिन आते बस
नहीं सुख का संजोग!!
.........
आचार्य शीलक राम
वैदिक योगशाला
कुरुक्षेत्र

डॉं सुरेश कुमार हिन्दी सेवा 2024 से सम्मानित


दैनिक दि ग्राम टुडे न्यूज़ समूह द्वारा राजकीय महाविद्यालय सांपला, रोहतक में कार्यरत डॉं सुरेश कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर,  हिन्दी को "हिन्दी दिवस" के अवसर पर हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए अमूल्य योगदान के लिए टीजीटी हिन्दी सेवा सम्मान 2024 से विभूषित किया गया है। डॉं सुरेश कुमार को इससे पहले अनेक संस्थाओं द्वारा उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए सम्मानित किया जा चुका है।  उनकी अब तक सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा विभिन्न राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में 40 से ज्यादा शोध पत्र भी प्रकाशित हो चुके हैं। गौरवत्व है कि वे भारतीय वायु सेना में भी बीस साल तक सेवाएं दे चुके हैं।

खुद से करो दोस्ती (make friends with yourself)

 खुद से करो दोस्ती

संवाद टूट चुका है!
संबंध छूट चुका है!
यही हकीकत जिंदगी,
भांडा फूट चुका है!!1

अनेक समस्या ऐसी!
कही नहीं जायें कैसी!
भीतर ही घूमती रहती हैं,
बड़ी हिमालय जैसी!!2

मतलब नहीं कहने का!
मजबूरी  में  सहने  का!
जिंदगी नरक भी स्वर्ग भी,
ढंग सीख लो सहने का!!3

बैठकर एक कोने में!
फायदा बहुत रोने में!
कहोगे तो उपहास करेंगे,
सीख लो इसी तरह होने में!!4

आंसू बहुत कुछ कहते!
दुख  में अविरल  बहते!
इनकी पीड़ा न कोई  समझे,
किस दुख-सागर में रहते!!5

खुद  का  खुद से नाता!
न कोई किसी को भाता!
करो सर्वप्रथम खुद से दोस्ती,
मुसीबत में न ब्याहा-ब्याहता!!6

                        आचार्य शीलक राम
                        वैदिक योगशाला
                        कुरुक्षेत्र