विवाह कोई केवल प्रेम -प्यार की स्थली न होकर एक सामाजिक जिम्मेदारी अधिक है! हां, यदि प्रेम प्यार हो जाये,तो वह सोने पर सोहागा कहा जायेगा! वैसे सनातन भारतीय संस्कृति में मौजूद आठ प्रकार के विवाह बंधन में प्रथम चार में माता पिता और घर परिवार की सहमति से सब कुछ होता है!बाकी चार प्रकार के विवाह में दैहिक आकर्षण,यौन ऊर्जा तथा रंग रुप आदि की प्रधानता रहती है! समाजशास्त्री इन्हें इसे प्रेम विवाह कहने की गलती करते हैं!वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं है!बस,विपरीत लिंगि युवक युवतियां काम ऊर्जा की गहनता के विशेष स्तरों की साम्यता के परस्पर आकर्षित होते हैं!वरना जिन्होंने परस्पर एक दूसरे को कभी देखा तक नहीं, उनमें प्रेम संबंधों की व्याख्या किस आधार पर कर सकते हैं? आखिर बाहरी यौन आकर्षण,रंग रुप तथा हावभाव आदि को प्रेम संबंध कैसे कहा जा सकता है?
विवाह में प्रेम प्यार हो या न हो , लेकिन व्यक्तिगत और सामाजिक जिम्मेदारी का अहसास या बोझ अवश्य होता है! विवाह बंधन में आये हरेक गृहस्थी को इसे निभाना ही पडता है! जहाँ सैमेटिक अब्राहमिक सभ्यता में यह एक समझौता है, वहाँ पर सनातन भारतीय संस्कृति में यह एक सामाजिक संबंध या रिश्ता या जिम्मेदारी का अहसास है! पश्चिम में जहाँ विवाह को केवल कामवासना की पूर्ति तक सीमित कर दिया गया है, वहीं पर सनातन भारतीय संस्कृति में इसे कामेच्छा पूर्ति, संतानोत्पत्ति, संतान के पालन- पोषण, सामाजिक जिम्मेदारी के पहलूओं सहित धर्म से जोडकर भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि का वाहन जाना गया है!सृष्टि में इससे अधिक वैज्ञानिक, व्यावहारिक, वास्तविक, नैतिक व्यवस्था मौजूद नहीं है! हजारों वर्षों के अनुभव और शोध के बाद इसे अपनाया गया था!
भारत के एक प्रसिद्ध योगाचार्य स्वामी राम ने अपनी पुस्तक 'लिविंग विद द हिमालयन मास्टर्ज' में योगियों की चमत्कारी हिलिंग पावर के संबंध में बतलाते हुये कहा है कि यह भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक तीन प्रकार की होती है! यदि कोई महापुरुष इस पावर के प्रयोग को शिष्यों के आत्मिक उत्कर्ष के लिये प्रयोग नहीं करके इसे एक व्यापार बना लेता है, वह पथभ्रष्ट हो जाता है!क्योंकि ऐसा करने से उसका अहंकार बीच में आ जाता है! वह सार्वभौमिक चेतना से अलग होकर व्यक्तिगत चेतना के केंद्र पर आ जाने से अपने आपको अस्तित्व से काट लेता है! ऐसे व्यक्ति की चमत्कारी हिलिंग पावर समाप्त हो जाती है! चमत्कारी महापुरुष सार्वभौमिक चेतना की अभिव्यक्ति का माध्यम बनते हैं! बीच में 'मैं' के आते ही सब गुड गोबर हो जाता है! ट्विन फ्लेम्स, सोलमेट्स और कार्मिक जैसे चैनल चलाने वाले सभी लोग व्यावसायिक हित को लिये हुये होते हैं! ये न तो खुद को हील कर सकते हैं तथा न ही अन्यों को! इनकी एक ही योग्यता है कि ये वाक् कला में प्रवीण होते हैं! इन्हें बातों की जलेबियां बनाना बखूबी आता है! आजकल के केवल चमड़ी तक सीमित प्रेम प्यार में असफल युवक और युवतियां इनके मोहपाश में जल्दी ही फंस जाते हैं! बेसिर पैर के हवा हवाई और बेतुकी वार्ताओं के लुभावने जंगल में एक बार फंसे तो कभी इससे बाहर नहीं निकल पाते हैं! अनेकों की इससे जिंदगी तबाह हो जाती है! अनेक युवतियां इससे शारीरिक शोषण का शिकार होती है!
भारत के एक प्रसिद्ध योगाचार्य स्वामी राम ने अपनी पुस्तक 'लिविंग विद द हिमालयन मास्टर्ज' में योगियों की चमत्कारी हिलिंग पावर के संबंध में बतलाते हुये कहा है कि यह भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक तीन प्रकार की होती है! यदि कोई महापुरुष इस पावर के प्रयोग को शिष्यों के आत्मिक उत्कर्ष के लिये प्रयोग नहीं करके इसे एक व्यापार बना लेता है, वह पथभ्रष्ट हो जाता है!क्योंकि ऐसा करने से उसका अहंकार बीच में आ जाता है! वह सार्वभौमिक चेतना से अलग होकर व्यक्तिगत चेतना के केंद्र पर आ जाने से अपने आपको अस्तित्व से काट लेता है! ऐसे व्यक्ति की चमत्कारी हिलिंग पावर समाप्त हो जाती है! चमत्कारी महापुरुष सार्वभौमिक चेतना की अभिव्यक्ति का माध्यम बनते हैं! बीच में 'मैं' के आते ही सब गुड गोबर हो जाता है! ट्विन फ्लेम्स, सोलमेट्स और कार्मिक जैसे चैनल चलाने वाले सभी लोग व्यावसायिक हित को लिये हुये होते हैं! ये न तो खुद को हील कर सकते हैं तथा न ही अन्यों को! इनकी एक ही योग्यता है कि ये वाक् कला में प्रवीण होते हैं! इन्हें बातों की जलेबियां बनाना बखूबी आता है! आजकल के केवल चमड़ी तक सीमित प्रेम प्यार में असफल युवक और युवतियां इनके मोहपाश में जल्दी ही फंस जाते हैं! बेसिर पैर के हवा हवाई और बेतुकी वार्ताओं के लुभावने जंगल में एक बार फंसे तो कभी इससे बाहर नहीं निकल पाते हैं! अनेकों की इससे जिंदगी तबाह हो जाती है! अनेक युवतियां इससे शारीरिक शोषण का शिकार होती है!
इनके कल्पनालोक के अनुसार 'ट्विन फ्लेम्स' एक ही आत्मा के दो हिस्से होते हैं!इनकी परस्पर तलाश करना ही जीवन का अंतिम लक्ष्य है!इनके साथ गहन अंतरंगता, आत्मीयता, समझ, मैत्रीभाव,यौनसम्बन्ध, यौनाकर्षण, टैलीपैथिक संबंध की अनुभूति होती है! कयी बार किसी के जीवन में ट्विन फ्लेम्स और सोलमेट्स दोनों एक साथ आ जाते हैं! इससे जीवन में विषाद भर देनेवाली हलचल पैदा हो जाती है! 'सोलमेट्स' एक समान जीवन-शैली, सोच,व्यवहार,समझ और आचरण की दो आत्माओं का परस्पर मिलना है!इनके साथ- संग रहने में काफी अच्छा महसूस होता है!इनके साथ जीवन जीना सहज लगता है!
'कार्मिक' वो सम्मिलित बुरी- अच्छी आत्माएं हैं जो एक साथ दुखदायी और सुखदायी होती हैं!इनके साथ पूर्व जन्मों के कोई कर्म संस्कार बचे हुये होते हैं, जिनका भुगतान इस जन्म में करना होता है!इनके साथ तुरंत प्रेम और विरह होना संभव होता है! ये अंतरंग होते हुये भी संदेह, अविश्वास और भ्रम लिये हुये होती हैं! इनकी पहचान करने के लिये कयी प्रकार के लक्षणों का विवरण दिया जाता है!
'कार्मिक' वो सम्मिलित बुरी- अच्छी आत्माएं हैं जो एक साथ दुखदायी और सुखदायी होती हैं!इनके साथ पूर्व जन्मों के कोई कर्म संस्कार बचे हुये होते हैं, जिनका भुगतान इस जन्म में करना होता है!इनके साथ तुरंत प्रेम और विरह होना संभव होता है! ये अंतरंग होते हुये भी संदेह, अविश्वास और भ्रम लिये हुये होती हैं! इनकी पहचान करने के लिये कयी प्रकार के लक्षणों का विवरण दिया जाता है!
उपरोक्त तीनों प्रकार की आत्माओं की पहचान करने के लिये चिन्ह और लक्षण बतलाये गये हैं! स्प्रिट,घोष्ट, भूत, प्रेत, जिन्न, पिशाच, पीर,बाबाओं और परियों की डरावनी और रोमांचक कहानियों के इस झाड- झंखाडयुक्त जंगल में एक बार जिसने प्रवेश कर लिया, उसका यहाँ से निकलना असंभव कर दिया जाता है! और तो और अपने ट्विन फ्लेम्स की पहचान करके उससे मिलन के लिये कुछ मैडिटेशन भी बतलाई जाती हैं! इन मैडिटेशन का आध्यात्मिक प्रगति से कोई भी संबंध नहीं होता है! ये मैडिटेशन मात्र अवचेतन मन को सुझाव देने पर आधारित होती हैं! आप अपने आपको जैसे भी सुझाव दोगे, आपको वैसे ही महसूस होना शुरू हो जाता है! तंत्रयोग, मनोविज्ञान,यहुदी- ईसाई- इस्लामी-युनानी पौराणिक कहानियों का बेमेल और विचित्र सा मिश्रण तैयार करके बड़ी चालाकी से सोशल मीडिया पर प्रस्तुत किया जाता है!प्रेम -प्यार- रोमांस में असफल युवक और युवतियों को यह हकीकत की तरह लगता है! बस, वो अपने सभी सफल -असफल प्रेम संबंधों का समाधान ढूंढने के लिये दिन- रात इनके कल्पनालोक में खोये रहते हैं! आज के वैज्ञानिक युग में यह सब पाखंड और ढोंग खूब चल रहा है!
जैसे ज्योतिषी जनमानस को बेवकूफ बनाते हैं, ठीक वैसा ही यह एक लूटपाट का धंधा है!जैसे ज्योतिष में गणित ज्योतिष ठीक है तथा फलित ज्योतिष एक धंधा है, ठीक उसी तरह से तंत्रयोग में शिव और शक्ति की अवधारणा प्रायोगिक सत्य अनुभव और खोज पर आधारित है, जबकि यह ट्विन फ्लेम्स, सोलमेट्स, कार्मिक की अवधारणा सैक्सुअल शोषण पर टिकी हुई है!दुनिया में मूढताएं भी खूब चलती हैं! दुनिया में विश्वास पर आधारित हिप्नोसिस भी खूब काम करती है! चिकित्सा विज्ञान में भी फंक पावडर, गोली, सीरप खूब काम करते हुये देखे जाते हैं! इस तरह की चिकित्सा से ठीक होने वाले लोग मानसिक रुप से बिमार होते हैं! ऐसे मानसिक रोगियों को जहाँ से भी कुछ दिव्य, अदृश्य और चमत्कारी शक्तियों से हीलिंग का आश्वासन मिलता है, वो वहीं पर एकत्र हो जाते हैं! लेकिन ध्यान रहे कि यह किसी बिमारी का सही और स्थायी समाधान नहीं है! इससे कुछ समय के लिये राहत महसूस हो सकती है! फिर फिर उन्हीं हीलर्स के पास बार- बार चक्कर काटने पडेंगे!क्योंकि नकली बिमारियों का नकली ही समाधान हो सकता है! इप प्रकार की नकली बिमारियों का यदि कोई असली समाधान करना है तो मन के काम करने के ढंग को समझना होगा! मन का अवलोकन आवश्यक है! युवक और युवतियों के प्रेम -प्यार- विरह -धोखे -शोषण से जुडी विभिन्न प्रकार की समस्याओं के समाधान के लिये किसी जानकार तंत्रयोगी,राजयोगी,हठयोगी से प्रायोगिक योगाभ्यास सीखकर आगे बढना होगा!युवक और युवतियों की जिन समस्याओं का समाधान योगाभ्यास से स्वयं व्यक्ति के आचरण के सुधार और परिष्कार में छिपा हुआ होता है, उसके लिये इन पाखंडियों और ढोंगियों के के जाल में फंसना जरुरी नहीं है!
आचार्य शीलक राम
दर्शनशास्त्र -विभाग
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय
कुरुक्षेत्र -136119
दर्शनशास्त्र -विभाग
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय
कुरुक्षेत्र -136119
No comments:
Post a Comment