Tuesday, August 2, 2016

हिन्दुत्व को कलंकित न करें

     तेरह सदी से हिन्दुतव पर हमले हो रहे हैं । इन हमलों का कारण कुछ हमारे ही भाईयों की गद्दारी रही तथा इसके साथ-साथ इसके भौगोलिक कारण भी थे । इन तेरह सदियों में हमने बहुत कुछ खोया तथा सीखा बहुत कम । हमारे महान योद्धाओं ने पूरी शक्ति से बाहरी हमलावरों का सामना किया । ये नहीं है कि कोई भी बाहरी हमलावर आया तथा उसने भारत के किसी हिस्से पर कब्जा कर लिया । भारत को लूटने व यहां पर शासन करने के प्रयास में विदेशी हमलावरों को भारतीय वीरों के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था । यही तो कारण था कि जो भी लूटेरा या हमलावर यहां आता था उसे कई-कई वर्ष लग जाते थे कुछ विशेष क्षेत्रों को लूटने या उन पर अधिकार करने में । भारत पर हमला करने वाला कोई भी विदेशी हमलावर सहजता से अपने उद्देश्य में कभी भी सफल नहीं रहा । भारतीय वीरों ने उनके कई-कई हमलों को नाकाम भी किया था तथा उनके लाखों सैनिकों को मौत के घाट भी उतारा था । भारत के अनेक क्षेत्र तो ऐसे थे जिन पर विदेशी कभी भी अपना अधिकार नहीं कर सके । भारतीय इतिहासकारों की यह उक्ति की विदेशी हमलावर यहां आते थे तथा यहां का धन-दौलत लूटकर अपने देश को चले जाते थे या यहां पर अपना राज्य स्थापित कर लेते थे- निरी कपोलकल्पना है । पूरे भारतीय इतिहास लेखन में कपोलकल्पना व पूर्वाग्रह से काम लिया गया है । इस तरह से हिन्दुत्व पर प्रत्येक दिशा से हमले हो रहे हैं। हमारे हिन्दू भाई इसका सही मुकाबला अब भी नहीं कर पा रहे हैं । 1947 ई॰ से लेकर अब तक कांग्रेस व इसकी सोच के लोगों का यहां पर शासन रहा है । इसके अन्तर्गत हिन्दुत्व पर हमले पहले की अपेक्षा कम नहीं हुए अपितु बढ़े हैं। स्वतन्त्रता से पूर्व अंग्रेजों ने तथा अंग्रेजों से भी पूर्व मुगलों ने इस राष्ट्र को खूब लूटा । इन मुगलों व अंग्रेजों के चपलूसों को भी तो लूट का अवसर मिलना चाहिए था । इन चापलूसों को लूट का अवसर मिला 1947 ई॰ के पश्चात् और जब अवसर मिला तो खूब लूटा इन्होंने इस देश को। सत्तर वर्ष तक इनकी लूट खूब चली । जिन्होंने अंग्रेजों को इस देश से भगाने में वास्तविक भूमिका निभाई थी उनको परे फेंककर ये सत्ता पर काबिज हो गए । इस देश को आजाद करवाने का श्रेय खुद लेकर ये देश की छाती पर चैकड़ी मारकर बैठ गए । और बैठे भी ऐसे कि कुछ साल छोड़कर सत्तर वर्ष तक जमकर बैठे रहे । किसी ने कुछ कहने की हिम्मत की तो उसे साम्प्रदायिक करार दे दिया । इस देश को आजाद करवाने की लड़ाई व उसमें अपने झूठे योगदान को सत्तर वर्ष तक शिक्षा, स्वास्थ्य, राजनीति, व्यापार व विदेशी नीति सबको पाश्चात्य व मुगलिया रंग में रंग दिया गया । किसी ने इसके विरूद्ध आवाज उठाई तो तुरन्त उसे साम्प्रदायिक कहकर चुप करा दिया गया । राष्ट्रवादी संगठनों आर्यसमाज, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद्, बजरंग दल, हिन्दू महासभा व जनसंघ ने इस अन्याय, भेदभाव व पूर्वाग्रह के विरूद्ध आवाज खूब उठाई तथा व्यावहारिक धरातल पर काम भी खूब किए । लेकिन अधिकांश समय तक इन्होंने राजनीति से दूरी बनाए रखकर अंग्रेजों व मुगलों के मानसपुत्रों को खूब अवसर प्रदान किए इस देश को लूटने व नीचा दिखाने के। जब भी इन्होंने थोड़ा-बहुत भी प्रयास राजनीतिक रूप से सचेत होने का किया तो उसके परिणाम भी सुखद व राष्ट्रवादी ही आए । जनसंघ से भाजपा में परिवर्तित राजनीतिक दल ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में छह साल तक सत्ता पाई थी तथा इसके बाद अब आश्चर्यजनक ढंग से श्री नरेन्द्र मोदी जी पूर्ण बहुमत से केन्द्र में अपनी सरकार बनाने में सफल रहे हैं । लेकिन राष्ट्रवादी दल के सत्तासीन होने के बावजूद भी दुर्घटना जो घटी वह यह है कि यह दल जब सत्ता में नहीं होता तो हिन्दुत्व की बातें करता है लेकिन जब यह सत्ता में आ जाता है तो इस पर सेक्युलरवाद हावी हो जाता है । यानि इसका यह अर्थ है कि राष्ट्रवादी कहे जाने वाले भी राष्ट्रवादी नहीं है अपितु इनकी खोपड़ी में भी कांग्रेस व साम्यवादियों का सेक्युलरवाद भरा हुआ है । हिन्दुत्व का नारा देकर हिन्दुत्व का विरोध, हिन्दुत्व के नाम पर वोट मांगकर अल्पसंख्यककों के अधिकार सुनिश्चित करने की बातें करना तथा बहुसंख्यक की उपेक्षा करना-यह क्या महारोग लगा हुआ है इन्हें? हिन्दुओं के मतों के बल पर सत्तासीन हो गए हैं लेकिन अब बातें कर रहे हैं सिर्फ अल्पसंख्यकों के अधिकारों की । अनेक तरह से हिन्दू मतदाता के साथ 1947 ई॰ से ही ठगी चल रही है लेकिन अब उस ठगी का रूप बदल गया है । पहले सेक्युलर कहे जाने वाले लोग हिन्दुओं की भावनाओं से खेल रहे थे लेकिन अब राष्ट्रवादी कहे जाने वाले लोग हिन्दुओं की भावनाओं से खेलने की तैयारी लगभग कर चुके हैं । श्री मोदी जी को सत्तासीन हुए तीन महीने हो चुके हैं लेकिन उनकी शासन करने की शैली वही कांग्रेस वाली है यानि कि सेक्युलरवादी है । हालांकि तीन महीने के शासन से अधिक होने की आशा नहीं की जानी चाहिए परन्तु कुछ निर्णय जो वे ले सकते थे वे भी उन्होंने नहीं लिए । सर्वाधिक खतरनाक बात जो हुई है वह यह है कि जो कोई भी आलोचक श्री मोदी जी के निर्णयों या नीतियों पर प्रश्नचिह्न लगाने की कोशिश करता है उसको ये तुरन्त बिना सोचे-समझे मूल्ला, कटुआ, सेक्युलर, कांग्रेसी आदि कहकर गालियां देने लगते हैं । इन गालियों का शिकार अनेकों वे बुद्धिजीवी भी हो रहे हैं जो जन्म से ही राष्ट्रवादी हैं तथा जिनका कांग्रेसी, साम्यवादी या मुगलिया जीवनशैली का दूर-दूर का भी सम्बन्ध नहीं रहा है । श्री मोदी जी की सोच भलि है तथा वे राष्ट्रहित में काफी कुछ करना चाहते हैं- लेकिन इसका यह अर्थ तो नहीं है कि कोई भी उनके कार्यों पर टिप्पणी ना करे । यह तालिबानी सोच हिन्दुत्व का अंग तो नहीं है । यह सोच तो मुगलिया सोच है, यह सोच तो फिरंगी सोच है, यह सोच तो साम्यवादी सोच है । हम किसी को कुछ भी कहें वह सब उचित है लेकिन हमारे सम्बन्ध में किसी ने कुछ टिप्पणी करने का प्रयास किया तो उसकी खैर नहीं । हम उसके साथ कोई भी दुव्र्यवहार कर सकते हैं, यहां तक कि उसकी हत्या भी कर सकते हैं । ऐसे हुल्लड़बाज बुद्धिहीन होते हैं जो कि भाजपा व श्री मोदी जी के पथ को कंटकाकीर्ण कर रहे हैं । दुश्मनों का कुछ बिगाड़ने के लिए कलेजे में हिम्मत व स्वयं को न्यौछावर करने की सनक होनी चाहिए लेकिन ये तो अपनों को ही धमकियां देकर अपने बहादुर होने का परिचय दे रहे हैं ।
         आर्य वैदिक हिन्दुत्व की जीवनशैली सदैव से ही वाद-विवाद, खण्डन-मण्डन एवं शास्त्रार्थ से आगे बढ़ने की रही है । हम जो कह रहे हैं वही ठीक है, बाकी सब झूठ है । हम किसी की सुनते ही नहीं । किसी बैठक या सभा में विचार-विमर्श से पूर्व ही निर्णन सुना देना हिन्दुत्व नहीं है । हिन्दू तो सांसारिक जीवन को खुशहाल बनाने हेतु किसी समस्या के प्रत्येक पहलू पर खूब तर्क-वितर्क करता है तथा विरोधी पक्षों को भी पूरा सम्मान देता है । मेरा कहा सही है तथा अन्यों का कहा सब गलत है । यह हिन्दुत्व कतई नहीं है। ऐसे लोग हिन्दुत्व का इतना नुकसान कर रहे हैं कि जिसकी कोई सीमा नहीं है और अब तो सत्ता भी इनके हाथों में आ गई है। सोचा तो यह था कि तेरह सदी के पश्चात् अच्छे दिन हिन्दुत्व के आ ही गए लेकिन जब हिन्दुत्व के हित की बातें करने पर खूब लताड़, गालियां व निकृष्ट उपाधियां मिलीं तो भ्रम टूटा । पता चला कि अभी तो र्सिु सत्ता का हस्तान्तरण हुआ है, शासन करने के ढंग पूर्ववत् फिरंगी, मुगलिया व कांग्रेसी ही हैं । अब राष्ट्रवादी ही कह रहे हैं कि धारा 370, समान नागरिक संहिता, राममन्दि निर्माण, गौहत्या पाबन्दी, हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में लागू करना, हिन्दुत्व की बातें करना, नैतिक व योग सम्बन्धी ग्रन्थों का अध्ययन-अध्यापन भारतीय शिक्षा-संस्थानों में शुरू करवाना, दर्शनशास्त्र विषय की गरिमा वापिस लौटाना, भारतीय चिकित्सा व खेतीबाड़ी की चिन्ता करना, महंगाई पर काबू पाना, किसानों की स्थिति को सुधारना तथा भ्रष्टाचरण पर काबू पाना आदि की बातें अब कोई भी कुछ मत कहो । यदि किसी ने कुछ कहने का प्रयास किया तो समझो उसे हिन्दू विरोधी, सेक्युलर, कांग्रेसी, साम्यवादी, कटुआ, मुल्ला आदि कहकर अपमानित किया जायेगा । ये कैसे राष्ट्रवादी हैं कि जो आलोचना को भी नहीं सुनना चाहते? खण्ड-खण्ड की बातें कर रहे हैं ये। अखण्ड की बातों से इन्हें चिढ़ है। इसी सोच व आचरण ने भारत को तेरह सदी तक गुलाम बनाए रखा था और अब भी वही मूढ़ता चलाने का प्रयास हो रहा है । इस फतवागिरी से सावधान । आर्य वैदिक सनातन हिन्दू की मूल-भावना को जीवित रखें तथा विदेशी व देशी षड्यन्त्रकारियों से सावधान रहें । जागो हिन्दुओं जागो ।

-आचार्य शीलक राम
मो. 9813013065,
      8901013065

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