सनातन से जो इस धरावासी, उनको हिन्दू जान।
करोडो वर्ष से यहां रह्ते आए, बिना किसी व्यवधान॥
जिससे सब मत उत्पन्न हुए, ईसाई पारसी, मुसलमान।
यहुदियों का भी निकास जहां से, उनको ले हिन्दू पहचान॥
यहुदी, पारसी, ईसाई सभी ही, या सुन लो मुसलमान।
भारत से ही ये गए सभी हैं, भिन्न-भिन्न काल के मान॥
जेन्द अवेस्ता भी नकल वेद की, बाईबल नई या पुरानी।
हिन्दू नकल पर कुरान रची है, कर-करके बेईमानी॥
आर्य हिन्दू उन्हे कहा जाता, जो इन सबकी है माता।
एक बेल को मीठे-खट्टे फल, धर्म सनातन को कहा जाता॥
भू-सांस्कृतिक-गुण अवधारणा, आर्य हिन्दू भारत की।
अपने संग करो हित अन्य का, स्वार्थ संग परमार्थ की॥
विरोधाभासी आर्य हिन्दू का जीवन, माने प्रकृति को माता।
फूल व कांटे जरुरी साथ-साथ, नियम इन्हें कह विधाता॥
विरोधाभास में जीवन जीना सीखा, इन्हीं को मूल तत्व माना।
आर्य हिन्दू वह कहलाए भारतीय, रहस्य संसार का जाना॥
किसी भी पथ से चलना चाहे, किसी को करे स्वीकार।
आर्य हिन्दू वह कहलाए भारतीय, रहस्य संसार का जाना॥
करुणा संग कट्टरता जिसमें, अवसर के अनुसार।
आर्य हिन्दू वह भारतीय है, जो उचित करे इनका समाहार॥
परम धर्म अहिंसा को कहता, तत्पर हिंसा धर्म रक्षा को।
आर्य हिन्दू उसको कहा जाता, जो अपनाए इसी शिक्षा को॥
आतंकवाद को जो दे न बढावा, पर सक्षम विनास करने को।
मरने संग मारना भी आता, तत्पर परपीडा हरने को॥
आतंकवाद है पंथों का कुपुत्र, यहुदी, पारसी या ईसाई।
मुसलमान बस आंतक का पथ है, निर्दोष हिंसा जिसने बढाई॥
आर्य हिन्दू भारत धर्म है, सनातन से जो चला आता।
बाकि इसके सभी पंथ या मत है, यह सब इनका बाप कहलाता॥
जिस धर्म में अनेक पंथ हैं, भिन्न प्रकार के विचार।
आर्य हिन्दू वह कहलाए भारत, जिसका दर्शनशास्त्र सर्व स्वीकार॥
-आचार्य शीलक राम
करोडो वर्ष से यहां रह्ते आए, बिना किसी व्यवधान॥
जिससे सब मत उत्पन्न हुए, ईसाई पारसी, मुसलमान।
यहुदियों का भी निकास जहां से, उनको ले हिन्दू पहचान॥
यहुदी, पारसी, ईसाई सभी ही, या सुन लो मुसलमान।
भारत से ही ये गए सभी हैं, भिन्न-भिन्न काल के मान॥
जेन्द अवेस्ता भी नकल वेद की, बाईबल नई या पुरानी।
हिन्दू नकल पर कुरान रची है, कर-करके बेईमानी॥
आर्य हिन्दू उन्हे कहा जाता, जो इन सबकी है माता।
एक बेल को मीठे-खट्टे फल, धर्म सनातन को कहा जाता॥
भू-सांस्कृतिक-गुण अवधारणा, आर्य हिन्दू भारत की।
अपने संग करो हित अन्य का, स्वार्थ संग परमार्थ की॥
विरोधाभासी आर्य हिन्दू का जीवन, माने प्रकृति को माता।
फूल व कांटे जरुरी साथ-साथ, नियम इन्हें कह विधाता॥
विरोधाभास में जीवन जीना सीखा, इन्हीं को मूल तत्व माना।
आर्य हिन्दू वह कहलाए भारतीय, रहस्य संसार का जाना॥
किसी भी पथ से चलना चाहे, किसी को करे स्वीकार।
आर्य हिन्दू वह कहलाए भारतीय, रहस्य संसार का जाना॥
करुणा संग कट्टरता जिसमें, अवसर के अनुसार।
आर्य हिन्दू वह भारतीय है, जो उचित करे इनका समाहार॥
परम धर्म अहिंसा को कहता, तत्पर हिंसा धर्म रक्षा को।
आर्य हिन्दू उसको कहा जाता, जो अपनाए इसी शिक्षा को॥
आतंकवाद को जो दे न बढावा, पर सक्षम विनास करने को।
मरने संग मारना भी आता, तत्पर परपीडा हरने को॥
आतंकवाद है पंथों का कुपुत्र, यहुदी, पारसी या ईसाई।
मुसलमान बस आंतक का पथ है, निर्दोष हिंसा जिसने बढाई॥
आर्य हिन्दू भारत धर्म है, सनातन से जो चला आता।
बाकि इसके सभी पंथ या मत है, यह सब इनका बाप कहलाता॥
जिस धर्म में अनेक पंथ हैं, भिन्न प्रकार के विचार।
आर्य हिन्दू वह कहलाए भारत, जिसका दर्शनशास्त्र सर्व स्वीकार॥
-आचार्य शीलक राम
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