घूंघट भारत देश की,
परम्परा पहचान।,
इससे सुंदरता बढ़े,
बढे प्यार की आन।।,,
संस्कार इससे जुड़े,
नारी लगे सुजान,,
गीता वेद पुराण में,
इसका है गुणगान।।
घूंघट जो नारी करे,
वह पाए सम्मान।
वह समाज में देश में,
पाए हर इक आन।।
घूंघट में आंखें लगें,
सुंदर तीखे तीर,
होंठों की मुस्कान से
हार जाय शमशीर।।
चहरा लगता चांद सा,
लाल टमाटर गाल।
घूंघट के कारण बने,
गोरी माला माल।।
बृंदावन राय सरल सागर एमपी
मोबाइल 7869218525
कवि शायर साहित्यकार
94पोददार कालोनी राय भवन
सागर मध्यप्रदेश भारत
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