Tuesday, April 12, 2022

श्रणिक-शाश्वत जीवन...

 क्षणिक-शाश्वत जीवन...... 

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यह जीवन बहता हुआ जल है! 

कोई  पापी  कोई  निश्छल है! 

यह जीवन  जलता  दीपक है! 

कोई बुझता कोई भकाभक है! 

यह  जीवन बहती हुई हवा है! 

कोई   मारक  कोई   दवा  है! 

यह   जीवन  बरसता  पानी! 

कोई असहाय कोई मनमानी! 

यह  जीवन  धरती  माता सा! 

कोई  भूखा  कोई  खाता सा! 

यह जीवन जलती ज्वाला सा! 

कोई  फूल  कोई  भाला  सा! 

यह  जीवन  एक  चोराहा सा! 

कभी दुत्कारा कभी चाहा सा! 

यह जीवन खाली आकाश सा! 

कोई अंधेरा कोई प्रकाश सा! 

यह जीवन हवा का झोका सा! 

कभी  प्रेम  कभी  धोखा  सा! 

यह जीवन अधजल मटके सा! 

कोई निर्भय कोई बेखटके सा! 

यह  जीवन कांटें और फूल सा! 

कभी टिका कभी उडती धूल सा! 

यह  जीवन उलझे हुए सूत सा! 

कभी  कपडा कभी अछूत सा! 

यह  जीवन गले  का  हार  सा! 

कभी  फांसी कभी  शृंगार  सा! 

यह जीवन  अंधेरा  प्रकाश सा! 

कभी सृजन कभी विनाश सा! 

यह जीवन घृणा और प्यार सा! 

कभी  तृप्ति कभी  बेकार  सा! 

यह जीवन समीप और दूर सा! 

कभी अपराधी कभी बेकसूर सा! 

यह जीवन पलायन व क्रांति सा! 

 सुभाष वीर कभी संघ भ्रांति सा! 

यह  जीवन मरने और जीने सा ! 

फागुन  कभी सामण महीने सा! 

यह   जीवन   नीरस  मौन  सा! 

 विरह  कभी  शीतल  पौन सा! 

यह जीवन सुख और आनंद सा! 

नारकीय   कभी  ब्रह्मानंद  सा! 

कैसे भी हो जीवन को जीना है! 

जो जीते उनका पत्थर सीना है!! 

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आचार्य शीलक राम

वैदिक योगशाला

Sunday, April 10, 2022

रामनवमी रामराज्य

 रामनवमी  रामराज्य

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रामनवमी तब ही मनेगी

जब शुद्ध हों आचार विचार! 

खानपान में हो सात्विकता

हो   सद्कर्म  आदर्श विहार! 

आर्य जीवन-शैली हो सबकी

छल, कपट, पाखंड से दूर! 

निरोगता, स्वास्थ्य तन व मन

हों  तृप्ति, संतुष्टि भरपूर! 

किसान व मजदूर समृद्ध हों

मेहनत का पारिश्रमिक पूरा! 

आत्महत्या करना न पडे

कोई स्वप्न न रहे अधूरा! 

सबके  पास  रोजगार हो

यहाँ काबू  में  हो  महंगाई! 

पढने को सबको शिक्षा मिले

बिमार होने पर मिले दवाई! 

रामनवमी  पर संकल्प लो

हमारे स्वदेशी हों हथियार! 

खुद की खोज,खुद का विज्ञान

दुश्मन पर सटीक करें प्रहार! 

भूखा कोई भी सोए नहीं

सबको भोजन मिले भरपेट! 

दौलत पर सबका हक हो

कुछ लूटेरे ही न बन जाएं सेठ! 

रामनवमी पर सभी याद करो

रामराज्य के शीघ्र आने की! 

हर नागरिक सुविधा संपन्न हों

कहना फिर रामनवमी मनाने की! 

एक दिवस मनाने से क्या होगा

जब प्रजा जन हो कंगाल! 

खाने पीने की भी तंगहाली हो

हो हर सिस्टम बदहाल! 

श्रीराम के सपनों का भारत

नहीं बन सकता जुमलेबाजी! 

तर्क, चिंतन, विचार आवश्यक

जरुरी धर्म, दर्शन,नीति का ज्ञान! आगे ही आगे बढते जाना है

यह रामनवमी रामराज्य पहचान!! 

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आचार्य शीलक राम

वैदिक योगशाला

कुरुक्षेत्र