क्षणिक-शाश्वत जीवन......
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यह जीवन बहता हुआ जल है!
कोई पापी कोई निश्छल है!
यह जीवन जलता दीपक है!
कोई बुझता कोई भकाभक है!
यह जीवन बहती हुई हवा है!
कोई मारक कोई दवा है!
यह जीवन बरसता पानी!
कोई असहाय कोई मनमानी!
यह जीवन धरती माता सा!
कोई भूखा कोई खाता सा!
यह जीवन जलती ज्वाला सा!
कोई फूल कोई भाला सा!
यह जीवन एक चोराहा सा!
कभी दुत्कारा कभी चाहा सा!
यह जीवन खाली आकाश सा!
कोई अंधेरा कोई प्रकाश सा!
यह जीवन हवा का झोका सा!
कभी प्रेम कभी धोखा सा!
यह जीवन अधजल मटके सा!
कोई निर्भय कोई बेखटके सा!
यह जीवन कांटें और फूल सा!
कभी टिका कभी उडती धूल सा!
यह जीवन उलझे हुए सूत सा!
कभी कपडा कभी अछूत सा!
यह जीवन गले का हार सा!
कभी फांसी कभी शृंगार सा!
यह जीवन अंधेरा प्रकाश सा!
कभी सृजन कभी विनाश सा!
यह जीवन घृणा और प्यार सा!
कभी तृप्ति कभी बेकार सा!
यह जीवन समीप और दूर सा!
कभी अपराधी कभी बेकसूर सा!
यह जीवन पलायन व क्रांति सा!
सुभाष वीर कभी संघ भ्रांति सा!
यह जीवन मरने और जीने सा !
फागुन कभी सामण महीने सा!
यह जीवन नीरस मौन सा!
विरह कभी शीतल पौन सा!
यह जीवन सुख और आनंद सा!
नारकीय कभी ब्रह्मानंद सा!
कैसे भी हो जीवन को जीना है!
जो जीते उनका पत्थर सीना है!!
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आचार्य शीलक राम
वैदिक योगशाला